Ankur Garg   (अंकुर)
19 Followers · 15 Following

इंस्टाग्राम: ankurgarg2101
Joined 11 April 2018


इंस्टाग्राम: ankurgarg2101
Joined 11 April 2018
13 AUG 2022 AT 23:04

कुर्बानी की नीव पर पचहत्तर वी आजादी
सिले हुए घावों की पचहत्तर वी आजादी
लाठी की, लौह की, कलम की,
जूते के नोक पर रखे भरम की,  
हर नारे हर कदम की, एकता में रंगे वतन की,
 पचहत्तर वी आजादी।

पल दर वक्त मायने बदलती आज़ादी,
हर रंग से गौरव देश फिर क्यों दो रंगो में लड़ती आज़ादी,
बतलाती तो चौबीस तीलियां तेरे गुणों को है इंसान,
फिर कैसे बेड़ियों से आजाद रंगो में जकड़ी,
पचहत्तर वी आज़ादी।

कही ऊंची आवाज तो कही चुप्पी की आज़ादी
तो कही गीले तिरपाल में आष्टा चंगा की आजादी
कही छप्पन भोग तो कही पानी में बिस्कुट,
कही छत तो कही, कही पर भी छत की आजादी।

पूछता वो तीनपहिया ढकेल रोज़ी कमाता,
क्या यही आजादी,
क्या यही मेरी पचहत्तर वी आज़ादी।

-


25 MAY 2022 AT 21:17

कभी खबर आए तो समझ लेना, नही रहा होगा लड़ने का जज़्बा अपनो से हर उन छोटी बातों पर जो कभी हाज़िर किस्मत लगती थी, नही रहा होगा जवाब हर उस इल्जाम का जो अच्छी नियति पर मिला, नही कर पाया होगा कोई भी खुवाइश पूरी उनकी जो हक से आस लगाए बैठते थे, उतर गया होगा किसी की नजरों में जिनकी नजरों को पलक बिठाया बैठा होगा। कभी खबर आए तो समझ लेना, थक गया होगा जोकर का मुखौटा पहने, हसाते, दूसरो की जिन्दगी का मजाक बनते,
थक गया होगा हर रात अपने डरो को डराते
थक गया होगा इंतजार में की कोई बेकाम बस मुस्कुरादे। थक गया होगा हर सुबह, सुबह को कोसते, कभी खबर आए तो समझ लेना,
खुद्दारी की ज़िन्दगी जी खुद्दारी से हारी होगी , बिन खत बिन चिट्ठी, बेशिक्वे, बस बे उम्मीद खुद को समेटा होगा। हार गया होगा लकीरों से उन्हे मिटते देख, जब वादे उन्होंने किसी और के निभाए होंगे, टूट गया होगा जब वो उनके हाथों में समाए होंगे। पर गलती उनकी नही दोषी तो हम हमारे है, कोशिश तो उन्होंने बोहोत की,पर नसीब उनके न्यारे है। कभी खबर आए तो समझ लेना,
अब शब्दो का सफर खत्म हो चूका था, कागजों ने साथ छोड़ दिया था, कलम की स्याही काली और हर रंग फीका पड़ चूका था।
हवाएं खड़ी थी लेने सब बदल चूका था, साथ की इच्छा में खुद से इश्क हो चुका था।
कभी खबर आए तो समझ लेना,
मिन्नतो की बातों से सो जाना बेहतर था,
अकेले आए थे, बिन बताए जान बेहतर था।

-


4 APR 2022 AT 23:46

यू तो लिखने को लतीफे पढ़ दे,
तुम्हारी आंखो की सुंदर काली लकीर पर,
पर डर लगता है, कही,
इश्क की नज़र काजल को ना लग जाए।

-


25 MAR 2022 AT 23:04

सुनो, बोहोत दूरियां हो गईं है,
ज़रा अब चाय के कप को झूठा कर,
नज़दीकियां बढ़ा लें।

-


14 MAR 2022 AT 21:21

याद नही कब खुल के हसे थे,
अब तो बस जिन्दगी बीत रही है, घबराहटों में।

-


26 JAN 2022 AT 22:02

Paid Content

-


15 NOV 2021 AT 22:20

।।।।

-


25 SEP 2021 AT 21:17

कहते थे वो, मैं तुमसे तुम्हरे लिए लड़ती हूं
आज मैं खुद से खुद के किए लड़ रहा हूं।

-


12 SEP 2021 AT 21:04

बंद करदो वो दो चार बातें कहना जहा तुम्हारी उम्मीद तुम्हे समझने की हो,
फोकियत का ज़माना है साहब,
सिर्फ जनाज़े पर जागता है

-


12 SEP 2021 AT 18:49

वफ़ा ए दिल बयां करते हो
माना आंखें पढ़ने का हुनर है मुझमें,
पर, तुम्हारे आंसू, हर विधि भुला देते है।

-


Fetching Ankur Garg Quotes