Ankit Verma Utkarsh   (Ankit verma(utkarsh))
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Joined 17 December 2019


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Joined 17 December 2019
1 FEB 2022 AT 12:12

मौसमों की सैर में

दियों की रोशनी में,
ख्यालों की नीयत में,
हक की बेड़ी में,
बांहों के घेरे में,
मौसमों की सैर में,
मौसमों की सैर में.
रेगिस्तान की रेत में,
चाय की मिठास में,
फूलों की खुशबू में,
सब कुछ गंवा कर भी सुकून तेरी गोद में,
मौसमों की सैर में,
मौसमों की सैर में..

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26 DEC 2021 AT 1:08

9. जीवन एक सतह है.


तिनकों सी बारीक और हल्की,
यह चिंताएं गलियों की,
किताबों में शब्दों से सज जाती,
संगीत में धुनों से पिऱो दी जाती,
तोता एक हरा सा, कुछ बोलता,
तारे रात को एक मीठापन देते,
जीवन एक क्षैतिज समांतर सतह है,
जहां सब एक ही तल में होते है...


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26 DEC 2021 AT 1:07

8. आलाप भी जरूरी है


विस्मय विराग इन गलियों का,
आईने भी इन घरों के,
क्या नज्में है जीवन की,
लेकिन आलाप भी जरुरी है.
तीर तीखे है जुबानों के,
मर्ज बेअसर है इन औषधियों के,
कौन शिकारी, किस शिकार का,
लेकिन आलाप जरुरी है.
करवटें नीदों की राहतें है,
जीवन कुठिंत फिर भी शहादतें है,
थक जाएगा परवरदिगार, अर्जियाँ बहुत है,
लेकिन आलाप भी जरुरी है.

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26 DEC 2021 AT 1:06

7. जीवन यात्रा का प्रारंभ


न विधियों की गति,
न युगों की मति,
सब युग्मित यही एक सत्य ही,
प्रत्येक जीवन का एक-एक अंश ही.
मृत्यु अंत नही, समाप्ति नहीं,
जीवन यात्रा का समापन नही,
जीवन यात्रा का चक्र -प्रारंभ मृत्यु ही,
जीवन का विलय मृत्यु ही.

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26 DEC 2021 AT 1:06

6. कलियों का आंगन

यह धूप की गर्माहट,
हवा का ठंडापन,
पक्षियों का कलरव,
बच्चों का गूंजने,
यह गांवों का आंगन,
कलियों का आंगन.
न बंदिशों की जकड़न,
न रुदन का क्रदंन,
खिलखिलाते चेहरों की रासलीला,
संयम और पवित्रता की शिला,
यह गांवों का आंगन,
कलियों का आंगन.

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26 DEC 2021 AT 1:04

5. कहता रहा


वायदों से, तोहफों से, चीजों से,
यह जीवनचक्र नही घूमता सिर्फ बातों से,
कर्म का बंधन यही करता रहा,
तू कर कर्म, न फल की सोच,
यही नियति का चक्र,
तू कर कर्म निष्कर्म.
यह सरस सुधा सा पावनपन,
तू स्वच्छ होता जा, कहता रहा.

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26 DEC 2021 AT 1:04

4. पुल के बीच में

यह डोर इतनी कोमल क्यों है,
इसके सिरे इतने जटिल क्यों हैं,
यह खुदगर्जी इतनी हम पर ही क्यों,
जलता अंगार बूझकर हुआ राख क्यों हैं.
परछाई भी भ्रमित है ,
वास्तविकता लापता है ,
दो दृढ़ आधार के बीच,
यानी पुल के बीच में ,
कुछ तो नहीं है,
कुछ खाली भी नहीं है.

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26 DEC 2021 AT 1:03

3. रात के शरबतों को

यहां चांद के इंतजार में चकोर ,
समुद्र की लहरों में ख्वाबों का बहाव ,
शाम ढली तो आई चुप्पी,
रात हुई तो मिले खुद से.
खिलकर चली गई मुस्कान जीवन से ,
झूम कर आई थी वह चंचल घड़ी .
जीवन की डाली पर हुई हलचल ,
हुए सब भाव विभोर,
रात के शरबतों को ,
हमने भी पिया था.

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26 DEC 2021 AT 1:02

2. शमा अपनी अपनी यात्राओं की
अंजान राह, अंजान सफर है ,
किस मोड़ पर क्या लिखा है .
यूं बेइंतहा काटें हैं हर पग पर ,
सिर्फ नजरअंदाजी काफी नहीं है.
पहलू ,अदाएं ,वक्त की नजाकतों पर,
दिलचस्प कहानियां हम सबकी हैं .
शमा आपने अपनी यात्राओं की ,
नाम-नाम में जिंदगी सब की है.
यहां सब एक वक्त है ,
सबकी कोई रवानी है.

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26 DEC 2021 AT 1:01

1. जिंदगी के दो पल

नदी की तेज धारा में ,
एक किनारे पर मैं बैठा ,
दूजा पर तेरा साया .
फर्ज हमारे दोनों के थे,
एक मैं अपना कर रहा ,
दूसरा तू निभा रही
प्यार की रेखा पर,
जीवन चिह्न कहीं ,
एक पल तेरे पास
दूजा पल मेरे पास.

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