23 JUN 2018 AT 14:14

मैं तस्वीर हूँ
एक सुंदर सी तस्वीर
घर की दीवार पर, सजाने के लिए
घर की शोभा बढ़ाने के लिए
सुंदर फ्रेम में लगी
एक तस्वीर
जो बोल नहीं सकती
अपने अस्तित्व पर जमी धूल
पोंछ नहीं सकती
आश्रित है हटाने अपने ऊपर लगे जाले
और
अपना पता भी
जकड़ गए हैं मेरे जबड़े
सालों से एक ही स्थिति में मुस्कुराते हुए
अब मैं जीना चाहती हूँ
रोने, चीख़ने, डांटने, चिल्लाने के भाव
मगर क्या कोई
मेरे उन भावों को भी कैद करेगा?
उन्हें सुंदर कहेगा?
क्या तब भी मुझे सजाया जाएगा
दीवारों और बटुए में
नहीं, मुझे नहीं दिखती
दुनिया की किसी दीवार पर लगी कोई रोती हुई तस्वीर
क्योंकि तसवीरें रोया नहीं करती
अपने दुःख, वे बस दिखा सकती हैं
अपने सुख।

-