Ankita Saxena   (Sakhi..)
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Joined 3 August 2017


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Joined 3 August 2017
2 APR AT 23:55

मेरे मन में गहराता जा रहा है
तुम्हारी यादों का बीहड़
जिसे काटना हो गया है दुष्कर
सोचती हूं यहां आग लगा दूं
पर डरती हूं घुट के मर जायेंगे
एहसास के परिंदे और प्रेम
के नीड़ में जन्मे उम्मीद के
नन्हें पखेरू.......

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11 MAR AT 17:19

कितना कुछ भुलने लगी थी मैं,
सोचा था तुम्हें भी भूल जाऊंगी यूंही




अब दिन रात खुद को याद दिला रही हूं
कि तुम्हें भुलाना हैं।...... #Ankita

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1 MAR AT 12:53


ज़हन-ओ-दिल पे छा गए हो
क्या तड़पाने की ख्वाहिश है
नशा बनके, रगों में उतरे जाते हो
क्या जां लेने की ख्वाहिश है
बहुत नज़दीक आ गये हो
क्या जुदा होने की ख्वाहिश है.......

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1 MAR AT 12:29

Aromatic wind

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1 MAR AT 12:27

शिकन चेहरे पे मेरे थी ,दर्द होता रहा उनको
रात भर सो ना सकी मैं, और वो करहाते रह गये

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16 JAN AT 10:07

कभी हँसैं और कभी बेकरार हो जाएं
तेरी आंखें जो देखले तो प्यार हो जाएं

खेलती है जो तबस्सुम ग़ुलाबी फांकों पे
बीमार इश्क से हर सुर्ख अनार हो जाएं

बदन जो टूटकर मखमल पे ले अंगड़ाई
एहसास -ए-रेशमी खुद शर्मसार हो जाएं

दिल -ओ-दिमाग पर रहे नीलम सा नशा
इश्क ना हो कोई तिलस्मी खुमार हो जाएं

तेरी कुरबत ग़र महज़ इक ख्याल है जानां
मेरी हदें ख्वाबों ख्यालों पे निसार हो जाएं #Ankita #

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16 JAN AT 9:57

मेरे ख़यालों के चिलमन से झीने झीने नज़र आओ तुम्हें देखना है
ढले शब, छत पे, चांद से निकल आओ तुम्हें देखना है
बड़ी हसरत से निगाहें ढूंढ़ती हैं तुमको,
सुरमे की तरह मेरी आँखों में बस जाओ तुम्हें देखना है
मैं करलूं बंद पलकें, तुम्हें तुमसे चुरा लूं,
दिल पे फिर हाथ रख के तसव्वुर में बुला लूं तुम्हें देखना है
ये नज़रें ,शोख चेहरे पर बेपनाह दीवानी है
दीदार अपना करादो, घड़ी भर सामने आओ, तुम्हें देखना है
चन्द लम्हों में जिंदगी जी भर के मुस्काएं
जो तुमको देखूं एक पल तो मुझको चैन आजाये, तुम्हें देखना है। #Ankita

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16 JAN AT 9:54

अब जल-थल नहीं गगन लेंगे
कलिकाओं के अंतस मैं जो
खिलता हो वहीं चमन लेंगे
ललाट पर मल कर सूरज को
सूर्यमुखी से प्रमुदित होंगे
अपने अधीर हृदय में फिर
ममक बिखराने का प्रण लेंगे
हम हो जायेंगे कर्मवीर
सोपाण धैर्य का कर लेंगे
खाली मन की कंदराओं में
प्रेम पीर का मधु भर लेंगे
ना होने देंगे अंधकार हम
नित 'किरणों' से हो जायेंगे
बंद कमरों में, अभिलाषाओं के
दरारों से प्रस्फुटित होंगे
चीत्कार मौन के सुनकर हम
हस्त ,सर पर उसके रख देंगे
बालक की तरह , बांहों में भर
संयम,बल और ढ़ाढस देंगे
ये तमस जो मुझमें बाक़ी है
इसको हौसलों की हवा देकर
कर्तव्य पथ पर हांकेंगे
जब छाले पग में पड़ जायेंगे
तो मरहम सा संबल देंगे
फिर खुद से दोहरायेंगे
प्रण अपना याद दिलायेंगे,कि
अब जल-थल नहीं गगन लेंगे
कलिकाओं के अंतस मैं जो
खिलता हो वहीं चमन लेंगे ...... Ankita

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3 JAN AT 10:35

इस सारी खुदाई में जो सुरूर -ए-आलआ है
वो नायाब मय है तू वो सवाब का प्याला है

तेरे नूर से रौशन है मेरी जात के ये अंधेरे
तू रात दीवाली है तू ही जश्न-ए-चरागा है

तू ज़रा सा मुस्कुरा दे,भटक जाएं सितारे भी
ओ चांद चेहरे वाले तू मेरे अब्र का शहजादा है #Ankita

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3 JAN AT 10:30

जज़्बातों के अंधेरों में हम यूंही भटकते है
इस रूह पे जिस्मानी कुछ ख्वाब खटकते हैं
होने को तो होती है कबाओं पे कलमकारी
पर रूई के तागों पर कब भँवरे फटकते है
ये शोख अदा वाले क्या जाने चुभन क्या है
पलकों के नशेमन में जो हर सांस सिमटते हैं
हमको तो नहीं आता फन शर्तों पर मुरव्वत का
वो और होंगें जो खुद की नज़रों में बिखरते हैं
पैरों में मेरे बिछा दों चाहे खारों के गलीचे तुम
हम जितना तड़पते हैं हम उतना चमकते है
हर सांस पे लगते सुर अपने बहुत ऊंचे
इस जिस्त की धुन पर हम इतने खनकते है
शादाब ग़ुलाबों को महकते कभी देखा है
शुक्राना अदा करदो तेरे गुलशन हम बसते है
शख्सियत हमारी कुछ केसर की ही तरह है
इतने से मिल गये तो स्वाद-ओ-तासीर बदलते हैं #Ankita

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