मैं प्यार लिखती थी,
तुम्हारा नाम लिख जाता था।
मैं हँसी लिखती थी ,
तुम्हारा साथ लिख जाता था।
मैं चैन समझती थी,
तुम्हारा गले लगाना हो जाता था।
मैं सुकून समझती थी,
तुम्हारा मुस्कुराना हो जाता था।
मैं बहक जाया करती थी,
पर वो तुम्हारे नशे में डूब जाना होता था।
मैं बिखर जाया करती थी,
पर वो तुम्हारी झलक न मिल पाना होता था।
मैं लिखती हूँ, मैं लिखती हूँ,
दर-अ-सल तुमसे कहने से डरती हूँ।
कि अब...
मैं आँसू से लिखती हूँ,
तुम्हारा नाम लिख जाता है।
मैं बेपरवाह लिखती हूँ,
तुम्हारा चेहरा बन जाता है!!
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