Ankit Singh   (Ankit Singh)
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हमेशा
Joined 24 December 2017


हमेशा
Joined 24 December 2017
13 DEC 2022 AT 12:34

इशारा

अब तुम्ही बता दो रास्ता इस कश्मकश को संभालने का
ये पास होकर दूर रहना गवारा नहीं होता।

अब तुम्ही कोई इशारा बता दो अनकही को बाहर लाने का
ये खोने पाने का डर कुछ कहने नही देता।

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11 DEC 2022 AT 13:20

हकीकत

नज़दीक जाने की चाह में ना जाने क्या क्या कर आया
पास जाना था उसके बहुत दूर चला आया।

उसने शायद चुन ली है हकीकत अपनी
उसे दूर अंधेरों में किसी और का होते देखा
मैं खुद को फिर से अपना ही बना कर लौट आया।

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12 DEC 2019 AT 22:39

हां मां मैं फिर से आऊंगी
हां मां मैं फिर लौट कर आऊंगी
तेरे आंचल में कुछ देर सोने सही
तेरी गोद में बेखौफ खिलखिलाने ही सही
पर मां मैं फिर लौट कर आऊंगी

इस बार मां तू मुझे बचा लेना
इस बार मां तू मुझे अपनी छांव में छुपा लेना
मुझे नौच कर खाने को बाहर भेड़िए बैठे हैं
इस बार तू मुझे बाहर जाने से रोक लेना

तुझे कितना दर्द सहना पड़ा होगा मुझे यूं देखकर
मेरी इज्ज़त के इश्तहार मेरे टुकड़े देखकर
तेरी लाड़ली को छूने की हिम्मत की जिन्होंने
उन्हें सांस लेते घूमते देखकर

मां इस बार तू उन्हें पास ना आने देना
मां तू इस बार उन दरिंदो को सबक सिखा देना
मुझे डर लगता है वापिस आने से
इस बार तू मुझे बेखौफ बना देना

हां मां मैं फिर आऊंगी
तेरे आंगन को महकाने फिर आऊंगी
हर घर का मान बनने फिर आऊंगी
भाई की कलाई पर राखी बांधने
ज़माने की बेड़ियों को फिर से तोड़ने
सबसे एक बार फिर लड़ जाने मैं फिर आऊंगी

इस बार तू मुझे बचा लेना
इस बार तू मुझे छुपा लेना
हां मां मैं फिर आऊंगी
हां मां मैं ज़रूर आऊंगी

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11 AUG 2019 AT 12:34

बस अब यूं ही ठीक है

कुछ आदतें ज़िद्दी पुरानी सही
कुछ नासाज़ से मिजाज़ सही
कुछ अलग सा होने सुरूर मगर
कुछ रवैय्ये अक़्सर नाराज़ सही

बस अब यूं ही ठीक है

कुछ मौसम की पहली बारिश सही
कुछ कड़ी धूप का एहसास सही
कुछ सर्द रातों का बहाना मगर
कुछ सुबह की पहली किरण सही

बस अब यूं ही ठीक है

कुछ वक़्त के तकाज़े सही
कुछ सफ़ेद बालों का तजुर्बा सही
कुछ बेफिक्री की नींद का नशा
कुछ आईने में वो अक्स सही

बस अब यूं ही ठीक है

कुछ धीमे धीमे शिकायतें सही
कुछ रेत के गिरने की रफ़्तार सही
कुछ सामने लम्बे रास्ते मगर
कुछ मंज़िल तक पहुंचने का जुनून सही

बस अब यूं ही ठीक है

कुछ किस्से अरसे पुराने सही
कुछ कहानियां नई नई सी सही
कुछ बदले बदले अंदाज़ मगर
कुछ खुद पे ज़रा सा ऐतबार सही

बस अब यूं ही ठीक है

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24 MAR 2019 AT 18:34

Not every garden has flowers,
Not every flower has fragrance,
But every flower is essential,
Every flower is beautiful.

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20 MAR 2019 AT 2:04

आईना

ख़ुद ही के लिए आईना होना भी कहां आसान होता है।
ख़ुद को कल में देखना और आज में भूल जाना कहां आसान होता है।

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20 FEB 2019 AT 0:37

गुज़रते इन रास्तों पर भी भरोसा करना मुश्किल ही होता है।
कुछ मोड़ ले लेते हैं कुछ ख़तम हो जाते हैं।

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28 DEC 2018 AT 22:57

गुज़रता वक़्त गया और ख्वाहिशें खामोश होती चली गई।
रेत के फिसलते उस कन कन में पागलपन कहीं खो गया।

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30 SEP 2018 AT 10:39

She gave him many options that night when he died slowly...

He chose the one which had the slightest chance to see her face so he could relive again and again...

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30 SEP 2018 AT 10:30

वादे

तेरे हर एक वादे को सच जो मान बैठा था।
अब किसी वादे में वादा नज़र नही आता।

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