न तू आयी न आया वो मौसम ए जिंदगी न जाने तू है कहाँ गर्मियों के छुट्टियाँ भी बीत गयी न जाने तू है कहाँ बारिश के साथ साथ सावन भी चला आया पर तू न आया ए जिंदगी न जाने तू है कहाँ ....✍️
आज कल उसे किसी परी की तरह सजना संवरना आ गया उसे साड़ी बाँधना आ गया जिसे पसन्द था कभी सूट व जीन्स आज उसे साड़ी बाँधना आ गया ,जो करती थी कभी नादानी आज उसे समझदारी से सर झुका के बैठना आ गया जो करती थी कभी अपनी मनमानी आज कल उसे समझना आ गया जो हँसती थी खुल कर उसे अब बस मुस्कुराना आ गया आज कल उसे किसी परी की तरह सजना संवरना आ गया ....✍️
तुम इस बारिश के मौसम में इक बार मिलने का संदेश ज़रूर देना मैं भीगता हुआ तुमसे मिलने चला आऊंगा साथ में सिगरेट भी लाऊंगा तुम अपने हाथों से होते हुए होठों में दबा के इसे जला देना ,मेरे सीने की आग को इस धुंए के साथ को निकाल देना तुम इस बारिश में मिलने जरूर आना ....✍️
बचपन में जब मैं छोटा था न तब मेरे गाँव मे लोग कुत्ते का बच्चा ( पिल्ला ) जब पालते थें न तब उस बच्चे के सारे नाख़ून गिनते थें की ये कहीं बिषहा (ज़हर ) (मतलब की बिस नाख़ून वाला जहरीला ) तो नहीं है न ऐसे लोग गिनती करके बता देते थें की कौन सा बच्चा जहरीला है कौन सा नहीं शायद ये लोग साल गिनना भूल गए कि 2020 बहुत ही बड़ा जहरीला है ......✍️