Ankeet Raj   (Mr. Smarty Pants)
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I'm not much of a writer, but one hell of a typist. ;)
Joined 12 May 2017


I'm not much of a writer, but one hell of a typist. ;)
Joined 12 May 2017
7 NOV 2023 AT 2:49

आज फिर बेवजह कुछ बचकाना कर दिया,
आज फिर दिल को थोड़ा आज़ाद किया,
अब वापस बेड़ियां कसनी पड़ेंगी,
आज फिर मैं ज़िम्मेदारियों से भाग लिया।

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24 JUL 2023 AT 3:41

एक आंधी है जो थम चुकी है,
और एक हवा का झोंका है जो रुकने का नाम नहीं लेता,
एक आग है जो बुझ चुकी है,
और एक लौ है जिसे मैं बुझने नहीं देता,
युं तो कईं सपने हैं जो दफ़न हौ चुके हैं,
नींद तो बस एक ज़रिया है सबसे दूर भागने का,
रोज़ रात आंखो की कशमकश जारी रहती है,
पर न जाने कमबख्त ऐसा क्या है जो सोने नहीं देता।

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7 MAY 2023 AT 17:56

मेरी मौजूदगी का कुछ ऐसा है सेहर,
जिस्से मैं खुद लापता हूं,
लोगों को पास ले आती है मगर,
उन लोगों में मैं नामौजूद होता हूं।

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2 MAR 2023 AT 2:10

एक शोर ऐसा भी होता है,
जो सन्नाटे में ज्यादा उभर कर आता है,
और उसपर वो अपार खालीपन,
जो उस गूंज की आग को और हवा देता है।
भरी महफ़िल में बिन बुलाए आ जाता है,
और खींच के सबसे दूर कहीं ले जाता है,
और उसपर वो काला दरपन,
जो सारी पुरानी गलतियां दिखाता है।
सारी रातें काली करता है,
एक पल को न चैन देता है,
और उसपर वो अधूरा सपन,
जो पल भर की झपकी भी तोड़ जाता है।
एक शोर ऐसा भी होता है,
जो सन्नाटे में ज्यादा उभर कर आता है।।

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17 FEB 2023 AT 23:50

बर्सों तक यूंही चला तन्हा,
दर दर भटका, था मै जैसे कोई काफ़िर,
एक रास्ता दिखा, उम्मीद ने कहा,
मिल जाएगी तुझे मंजिल आखिर।
करी आंखें बंद और चल पड़ा उसी उम्मीद के साथ में,
जीत तै है मेरी, चीख-चीख कर दिया दुनिया को ज़ाहिर,
बीच सफ़र, आराम किया सोच के काफ़ी समय है हाथ में,
नींद खुली तो पता चला, रास्ता और उम्मीद दोनों ही ना-हाज़िर,
बस फिर क्या था, आंसू पोंछे, कपड़े झाड़े और फिर चल पड़े,
क्योंकि हम काफ़िर तो बनें ही हैं सफ़र की ख़ातिर।।

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25 FEB 2022 AT 0:13

तुम्हारे बारे में उस रोज़ लिखूँगा,
जिस रोज़ तुम्हे भूलने की ठान लूं...

वरना सच पूछो तो,
रोज़ दिल करता है तुम्हारे बारे मेँ लिखूँ,
सालों से दबी जो दिल में बातें हैं,
उन्हें खुल कर सांस लेने का मौका दूं,
पर यह मेरा डर ही है जो मुझे रोकता है,
कहीं मैं आज़ाद न हो जाऊँ,
वो अनकही बातें अगर कह दी गई,
तो कहीं मैं तुम्हे भूल न जाऊँ,
नहीं अभी नहीं, थोड़ी देर और,
उसके लिए अभी मैं तैयार नहीं हूं,
इसीलिए तुम्हारे बारे में उस रोज़ लिखूँगा,
जिस रोज़ तुम्हे भूलने की हिम्मत जुटा लूँ।

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3 DEC 2021 AT 2:16

सपने वह तारे नहीं, जो बस मीलों दूर से देखें जाते हैं, बिना किसी मिलने की आस के,
यह तो दादी का वो स्वेटर है, जो वह रोज़ थोड़ा-थोड़ा बुनती हैं, इस उम्मीद से कि वह एक दिन पूरा ज़रूर होगा।

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9 SEP 2021 AT 2:22

इतना तो मैंने ज़िंदगी को भी न चाहा,
जितनी शिद्दतों से तुम्हे चाहा है,
अब तो यह भी याद नहीं,
के कितनी मुद्दतों बार तुम्हे मांगा है।

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6 DEC 2020 AT 2:22

मैं वो हर चीज़ चाहता हूं जो उस उदास से चेहरे पर एक मुस्कराहट लाए,
मैं साथ रहूं या भले ही ना रहूं, मेरे दिल तक हमेशा उसकी खुशियों की आहट आए।

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4 OCT 2020 AT 4:45

Being a pushover has its own perks,
Atleast you're not the one with a guilty conscience later in life.

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