22 NOV 2017 AT 17:12

बोहोत उलझन है ,सुलझाने को वक़्त अब कम पर जाते हैं ।।

गिरहें खोलने बैठती हूँ इस ओंर, उस ओंर गाँठ पर जाते हैं ।।
~anni

- Anjali chandra ©