Anjali Chandra   (Anjali chandra ©)
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लिखतीं हूँ बस यूँही लिखतीं जाती हूँ ।
जो केह नहीं पाती तो बस लिख जाती हूँ ।।
~anni
Joined 11 July 2017


लिखतीं हूँ बस यूँही लिखतीं जाती हूँ ।
जो केह नहीं पाती तो बस लिख जाती हूँ ।।
~anni
Joined 11 July 2017
30 JUN 2018 AT 10:06

मैं जब दर्द से थक कर आंखें मूंद लुंगी, तुम तब भी मेरे पलकों पे जागते रहोगे ।।
तुम जब तक समझोगे गहराई प्यार की,
मैं डूब चुकी हूँगी और तुम समंदर नापते रहोगे ।।
~anni

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17 MAR 2018 AT 16:20

वो नाम जो कबसे गुमनाम सा हो,
उसे पुकारना अब छोड़ दो।
तलाश पूरी हुई नहीं है कई फिर भी,
उन गलियों में अब तो जाना छोड़ दो ।
गर फिर भी टिस उठती है जाती है,
घूँट भरलो गले के तर होने तक।
मरते मरते खाक हो न सके,
अब तो जि ही लो मर जाना छोर दो।।
~anni

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22 NOV 2017 AT 17:12

बोहोत उलझन है ,सुलझाने को वक़्त अब कम पर जाते हैं ।।

गिरहें खोलने बैठती हूँ इस ओंर, उस ओंर गाँठ पर जाते हैं ।।
~anni

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7 NOV 2017 AT 16:34

जो पीती नही जाती दर्द को तो क्या करती,
अपने जख्मों को नुमाइश के लिए क्यों छोड़ती भला ।
हमने तो परायों से कुछ मांगा भी नही कभी,
जो भी मिला बस अपनो से ही मिला ।।
~anni

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7 NOV 2017 AT 16:23

ख़ामोश सी हूं पर खामोशियाँ नहीं है मेरे आस पास,
क्या करूँ हर धड़कन में एक शोर सा है।।
रूह तक उतर जाती है कुछ आवाजें, और गूँजती है यादों की गलियों में, हर याद अब उस दर्द में सराबोर सा है ।।
~anni

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24 OCT 2017 AT 23:27

जो कतरा कतरा बह रहा है,तो बह जाने दो ।
समन्दर को रोकने से सैलाब बन जायेगा ।।
हर दर्द का हिसाब होता है यहीं, गम न कर ।
तू भी अपने हर सवाल का जवाब पायेगा ।।
~anni

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15 OCT 2017 AT 11:08

खुली थी क़िताब तो पन्ने भी हवाओं में सरगोशियाँ करने लगें,
बन्द होतें हीं गुमनाम एक कहानी सी बन गयी ।
पन्ने अब भी फरफरातें हैं कसमसाकर उन कहानियों के,
पर शोर उनका फ़िज़ा में घुली एक दास्ताँ सी बन गयी ।।
~anni

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13 OCT 2017 AT 23:12

जब मैं मेरे जैसी नहीं होती,तब तेरे जैसी हो जाती हूँ ।
कुछ आग पानी सा होता है,और कुछ पानी आग हो जाती हूँ ।।
~anni

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10 OCT 2017 AT 10:42


चाँद पाना कहाँ मुमकीन था मेरे लिए,
आजतक अपने वजूद से लड़ती रहीं हूँ मै।
चाँद तो उतर आया है आज मेरे हाथों में,
खुदका आसमाँ पर ढूँढ़ती रही हूँ मै ।।
~anni

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30 SEP 2017 AT 22:41

कूछ दूर लिखूं , कुछ पास लिखूं |
आज फिर अपने ऐहसास लिखूं ||
तुम जान-जान केहते रहना |
मै तूमको अपनी साँस लिखूं ||
~anni

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