सीना ठोक के मैनें, इश्क़ की बाज़ी खेली थी,ज़िंदगी ने भी कसम से मेरी फिर बड़ी ली थी। - इकराश़
सीना ठोक के मैनें, इश्क़ की बाज़ी खेली थी,ज़िंदगी ने भी कसम से मेरी फिर बड़ी ली थी।
- इकराश़