जान तो गया था सब कुछ, लेकिन तुम अंजान सी थी।बातें तो भरपूर हुई, लेकिन सब बेजुबान सी थी।देखा था हमने एक दूसरे को कई दफा,लेकिन नज़रें मिली ना थी।संग ज़िन्दगी बिताने की कहानी में, लेकिन तुम एक अजनबी सी थी।शायद कोई 'अपना सा' अजनबी!! -
जान तो गया था सब कुछ, लेकिन तुम अंजान सी थी।बातें तो भरपूर हुई, लेकिन सब बेजुबान सी थी।देखा था हमने एक दूसरे को कई दफा,लेकिन नज़रें मिली ना थी।संग ज़िन्दगी बिताने की कहानी में, लेकिन तुम एक अजनबी सी थी।शायद कोई 'अपना सा' अजनबी!!
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थक जाया करता था,पहले मैं काम करते करते...अब लोगों को उनकी मंज़िल तक पहुँचाने में बड़ा सुकून मिलता है।। -
थक जाया करता था,पहले मैं काम करते करते...अब लोगों को उनकी मंज़िल तक पहुँचाने में बड़ा सुकून मिलता है।।
हवाएं होती हैं आग जलाने के लिए न कि बुझाने के लिएयूँ मेरा दिल जलायेगी तो खुद जल के खाक हो जाएगी वैसे भी मैं हूँ ही "अनिल" -
हवाएं होती हैं आग जलाने के लिए न कि बुझाने के लिएयूँ मेरा दिल जलायेगी तो खुद जल के खाक हो जाएगी वैसे भी मैं हूँ ही "अनिल"
वो बच्चा होकर भी बच्चा नही।घर की जरूरतें उसे बड़ा बना दे रही है।। -
वो बच्चा होकर भी बच्चा नही।घर की जरूरतें उसे बड़ा बना दे रही है।।
सोच था लिखूंगा कुछ ज़माने के लिए।सितम ऐसे मिले की तुम्हारी कहानी ही लिखते चले गए।। -
सोच था लिखूंगा कुछ ज़माने के लिए।सितम ऐसे मिले की तुम्हारी कहानी ही लिखते चले गए।।
मैंने ढूंढ लिया है तुमको इश्क़ के खेल के लिए....अब तुम भी अपनी हसरत पूरी कर लेना मेरा दिल तोड़ कर -
मैंने ढूंढ लिया है तुमको इश्क़ के खेल के लिए....अब तुम भी अपनी हसरत पूरी कर लेना मेरा दिल तोड़ कर
तुम लाख कोशिश कर लो मुझसे दूर जाने कीलेकिन मेरी सच्चाई तमाशा ना बनने देंगी मेरे अफ़साने की -
तुम लाख कोशिश कर लो मुझसे दूर जाने कीलेकिन मेरी सच्चाई तमाशा ना बनने देंगी मेरे अफ़साने की
ज़िन्दगी मेरी,ख्वाइशों जैसी।चाहा तो बहुत पर मिल न सकी।।ज़िन्दगी मेरी,मुसाफिर जैसी।चलते ही गये पर मंज़िल न मिली।।ज़िन्दगी मेरी,पतंग जैसी।उड़ी तो बहुत लेकिन कट ही गयी।।ज़िन्दगी मेरी,अभिनेता जैसी।सुकून तभी मिला जब जब किरदार मिली।। -
ज़िन्दगी मेरी,ख्वाइशों जैसी।चाहा तो बहुत पर मिल न सकी।।ज़िन्दगी मेरी,मुसाफिर जैसी।चलते ही गये पर मंज़िल न मिली।।ज़िन्दगी मेरी,पतंग जैसी।उड़ी तो बहुत लेकिन कट ही गयी।।ज़िन्दगी मेरी,अभिनेता जैसी।सुकून तभी मिला जब जब किरदार मिली।।
ये दिल फिर मोहब्बत की गलियों में जा रहा है,अंजाम पता है,फिर भी ये रुक न पा रहा है।। -
ये दिल फिर मोहब्बत की गलियों में जा रहा है,अंजाम पता है,फिर भी ये रुक न पा रहा है।।
खुले विचारों की थी वो लड़की। बस कसूर यह था उसका की...थी वो लड़की।। -
खुले विचारों की थी वो लड़की। बस कसूर यह था उसका की...थी वो लड़की।।