ना रख उम्मीद-ए-वफा ,किसी परिंदे से गालिब.....
जब पर निकल आते हैं, तो आशियाना भूल जाते हैं..!!-
यूँ तो कई ऐब हैं मुझमें, बेशक
सिर्फ एक तूने तबाह कर दिया ........!!!-
मत करो यूँ गैरों सा सुलूक हमसे.
खास,तो तुम्हारे अपने भी नहीं हैं....!!
क्यों करोगे अब बात मुझसे, मुर्शद
सुना है अब तुम्हारे वो अपने भी कम नहीं हैं.....!!!-
वो बेवफा होकर भी, उसके चर्चे हवाओं में हैं....
और हम आशिक होकर भी गुमनाम रह गये !-
दीदार हुआ जब उनकी निगाहों का
रातें खोयी खोयी सी रहने लगी ,
नजर आने लगा हमें जन्नत सा मंजर
और रूह उनकी आँखों में डूबने लगी......!!!
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कीजिए अपनी निगाहों को
एक चेहरे पे पाबंद,
यूँ हर सूरत पे लुट जाना
तौहीन-ए-वफा होती है...!!!-
होली सा है, तेरे इश्क का रंग भी..
कभी इसके गाल पर, और कभी उसके गाल पर....!!-
मुझे पसंद है नजरअंदाज होना,तेरी खुशी के लिये....
मगर जनाब इतना गुरुर भी कहाँ लेके जाओगे....!!-
बदल दूँ पूरी कायनात मैं,तुम्हारे लिये..
बशर्ते तुम इरादा नहीं बदलना ..!!!-
कसूर जो इन निगाहों का होता,
तो मोहब्बत बेपनाह होती....
जनाब आपके जहन में मेरा ही खयाल
और आपकी बाहों में मेरी पनाह होती......!! (Ba💕)-