Aniket Rai   (aniketrai)
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Joined 18 December 2017


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Joined 18 December 2017
5 FEB 2023 AT 10:05

अंधेरा सारा छंट जाता है
सारी दुनिया दिख जाती है
सारा कोहरा हट जाता है।

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27 DEC 2022 AT 18:09

मेरा आधा हिस्सा तू रख ले,
तेरा आधा हिस्सा मेरा है
मेरा हर किस्सा तू रख ले,
तेरा हर किस्सा मेरा है।
कभी शाम ढलेगी जीवन की,
कभी धूप सुनहरी आयेगी,
हर धूप सुनहरी तू रख ले,
हर रात में हिस्सा मेरा है।
तेरी आंख नहीं होने नम दूं,
तेरे सारे नखरे झेलूं मैं
तू पास हमेशा हो मेरे,
तेरी जुल्फों से खेलूं मैं
तू हंसती रह बस इतनी सी,
है ख्वाहिश मेरे जीवन की
मेरी सारी खुशियां तू रख ले,
तेरा हर आंसू मेरा है ।

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5 DEC 2022 AT 13:49

ये समंदर की गहराई,
ये बादल का आंचल,
उसके माथे की बिंदी,
और आंखो का काजल,
ये सब कुछ हसीन कितना है,
मोहब्बत हो गई है, ये दिल खुशनसीब कितना है।

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4 AUG 2022 AT 22:02

Silence and Hug

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3 AUG 2022 AT 17:32

The words behind a silence
A bird behind a cage
A cigarette half burning
That loneliness in rage.

Only a Writer can understand

The value of a paper
The value of a pen
The smell of soil
Just after the rain.

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21 JUL 2022 AT 8:29

जो कल थे वो आज कहां हैं
कार, सड़क और बड़ी इमारत
ये सब कुछ तो ठीक है लेकिन,
घिरते बादल,गाते पंछी,
कुदरत के ये साज कहां हैं

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15 JUL 2022 AT 16:54


आंखें भारी होने लगें तो नींद मांगती हैं
शाम होते ही तुम्हारी तस्वीर मांगती हैं।

थक ना जाऊं कहीं , हौसला हार के ना बैठ जाऊं
तो हर सुबह एक नई उम्मीद मांगती है।

पैसा हद से बढ़ने लगे तो बिगाड़ देता है
दौलत की सीढ़ियां थोड़ी ज़मीन मांगती हैं।

वो बिकते नहीं हैं जो ख्वाबों को जीना सीख लेते हैं
ज़िन्दगी है साहब ज़िन्दगी थोड़ा सुकून मांगती है।

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1 JAN 2022 AT 18:05


जैसे एक छोटे बच्चे का
नित नया खिलौना साथी है
ये नए साल का आना भी
लगता उसकी ही भांति है।
सब मिलते हैं खुश होते हैं
इक नई कहानी होती है
कुछ भूले भटके रिश्तों से
कुछ बात पुरानी होती है
कितना अच्छा सा लगता है
जब साथ में सब कुछ होता है
क्या नए खिलौने की भांति
ये सब भी पुराना होता है?
क्या हो जाता है खुशियों को
क्यों दूर दूर सी लगती हैं
क्या हो जाता है रिश्तों को
जब साल पुराना होता है।।

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7 OCT 2021 AT 17:37


जब बंटवारा हुआ मोहब्बत का, वो गुलाब ले गया, कांटे दे कर
मुझे करवट बदलती रातें दे दी, वो सुकून ले गया, सन्नाटे दे कर।

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3 OCT 2021 AT 14:16

जब लगे खत्म है ये सफ़र,
जब लगे अंधेरी है सहर,
जब गम के बादल मड़रायें,
जब मंशा थोड़ी पड़ जाए,
कोशिश अपनी उम्दा रखो
हिम्मत अपनी जिंदा रखो।

जब मिले नहीं जो मांगा था,
जब लगे, है सब कुछ हार गया,
जब दुनिया ताने मारती हो,
जब लगे बिखर संसार गया,
कोशिश अपनी उम्दा रखो,
हिम्मत अपनी जिंदा रखो।

चाहे जितने भी ठेस लगे
राहें काटों की सेज लगे
डर जाना नहीं उन कांटों से
रुक जाना नहीं कुछ बातों से
मंजिल जितनी भी दूर लगे
हर नजर उसी पे टिका रखो
कोशिश अपनी उम्दा रखो
हिम्मत अपनी जिंदा रखो।

मिल जायेगा संसार सकल,
खिल जायेगा ये बाग सकल,
कुछ ख्वाबों को जिंदा रखो,
अपनी कोशिश उम्दा रखो,
हिम्मत अपनी जिंदा रखो,
हिम्मत अपनी जिंदा रखो।

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