Aniket Kumar   (ER. Aniket Kumar)
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Joined 15 November 2017


Joined 15 November 2017
13 DEC 2022 AT 15:28

मैं आज कल खुद से भी बात कम करता हूँ

और लोग पूछते हैं उसका हाल क्या हैं।

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30 NOV 2022 AT 1:41

तुम और मैं
जैसे चाँद चकोर का
तुम और मैं
जैसे रुक जाए ये वक्त
साथ तुम्हारे अनंत तक।

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28 NOV 2022 AT 20:03

मैंने सम्भाल कर रख ली हैं अपने कठिन दौर की कुछ तस्वीरें

ये मेरी सफलता के बाद मुझे ज़मीनी रखेंगे।

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5 NOV 2022 AT 23:02

मैं भी लड़ सकता था,
जात पर ,धर्म पर ,
ज़िंदगी भर ईर्ष्या में डूबा रहता
किसी के सुंदर होने पर
या मुझसे अधिक भाग्य होने पर
मगर मैंने प्रेम चुना
क्योंकि प्रेम से
मैं कृष्णा को जीत सकता था
और कृष्ण के आगे भी
कोई और जीत पाया क्या।

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5 NOV 2022 AT 0:30

Meme

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4 NOV 2022 AT 23:59

तुम जैसे मृगतृष्णा
मेरे ख़्वाब रेगिस्तान में जल।

तुम जैसे मौत के बाद स्वर्ग प्राप्ति का ज्ञान
मेरे ख़्वाब धरती को करती जन्नत।

तुम जैसे भोग विलास का सुख
मेरे ख़्वाब मैं और बुद्ध।

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4 NOV 2022 AT 23:54

मैं वसीयत में दे रहा हूँ दम घोटती हवा अपने वारिस को,

वो अपने पूर्वज को निक्कमा और नालायक कह सकता हैं।

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8 OCT 2022 AT 15:26

हाथ पकड़ लेती तो दुनिया ही रुक जाती
एक गाने के एक वाक्य ने मुझे याद दिला दिए
वो तमाम पल जब मैंने चाहा
बस दुनिया यही रुक जाए अनंत काल के लिए।

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4 OCT 2022 AT 17:41

कंकड़ कंकड़ शंकर :

Read Caption:

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3 OCT 2022 AT 16:15


चलते चलते बहुत दूर निकल आया
थक कर बैठा तो आस पास शून्य पेड़ थे
मैंने पीछे मुड़ कर देखा सिर्फ़ विनाश दिखा
इमारत रूपी विनाश
जो खड़े थे
प्रकृति के कोख के ऊपर
लात मारते हुए प्रकृति के गर्भ को
मैंने देखा कैसे आस पास के
सारे हरे खेत मुरझा गए हैं
बूढ़ा हिमालय
अरावली के मौत पर मातम मना रहा हैं
हिमालय जिसपर अब बर्फ़ नही हैं
ऐसा लग रहा हैं मानो उसे पता है
की अब वो भी मानव क्रूरता में अरावली होने को हैं
तभी मेरा भविष्य मेरे सामने खड़ा होकर पूछा
मैंने सुना था की विज्ञान ने सिर्फ़ विकास किए हैं
लेकिन विज्ञान ने छीन लिया
अतीत के मानव से मानव होना
और डाल दिया मुझ भविष्य को
हिमालय के आशूँ के श्राप में।

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