अंदाज राहुल   (Andaaz Rahul)
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Joined 23 September 2017


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Joined 23 September 2017

जरा ए-वक्त तू जल्दी गुजर और रात होने दे
मेरे ख़्वाबों की महफ़िल की हसीं शुरूआत होने दे
मोहब्बत आयेगी मिलने हवाएँ साज़ होने दे
मधुर संगीत की मद्धम कोई आवाज़ होने दे
के उनकी शान में देखो कमी ना कोई रह जाये
सितारों की मेरे दर पर खुली बरसात होने दे
परी सी बन के वो निकले तो फीका चाँद लगता है
चरागों की जवानी में गज़ब की आँच होने दे
के लब यूँ सुर्ख़ है उनके गुलों की है वो शहज़ादी
गुलाबों को अभी गहरा हया से लाल होने दे
ख़बर ये आईने को दो के जब वो सामने आये
चटक कर टूट ना जाये ना अपने होश खोने दे
उन्हें मैं देख लू जी भर के जी भरता नहीं फिर भी
ठहर जाओ यही पूरे मेरे कुछ ख़्वाब होने दो
सुबह को इत्तिला कर दो वो हमसे ना मुख़ातिब हो
मेरी हर रात पर फिर से चलो इक रात होने दो




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मैं तेरे जाने का आखिर गम करू क्यों

तू खुश है तो फिर आँखे नम करू क्यों

चाहत बस तेरी खुशी की ही तो थी मुझे

तू बता अब तेरे लिए दुआ कम करू क्यों

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18 DEC 2019 AT 14:48

नज़र मिला कर कह दो हम से इश्क़ नहीं था गलती थी
इक अरसे तक मेरी शामें तेरी बाँहो में ढलती थी
फिर रातों से सुबह तक क्या यूँ ही बातें चलती थी
नज़र मिला कर कह दो ना ये इश्क़ नहीं था गलती थी

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18 DEC 2019 AT 14:03

हम भी लिखते इश्क़ मगर अब मेरे कदमों तले मोहब्बत का रास्ता नहीं
चलो जाने भी दो खैर अब हमारा मोहब्बत से रहा कोई वास्ता नहीं

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मोहब्बत कुछ कागज़ के टुकड़ों पर संभाल रखी है
लो मैंने फिर इक गज़ल निकाल रखी है

तुझे भूलना तो चाहता हूँ मगर क्या करूँ
तेरी यादों ने आ आ कर जाँ निकाल रखी है

ये इल्ज़ाम मुझको ना दो मैं आता हूँ जो तेरे पीछे
मेरी ये आदत तो मेरी जाँ तुमने बिगाड़ रखी है

चलो माना के अब नहीं कोई वास्ता मुझसे
फिर मिरी ये निशानी चुड़ियाँ क्यों डाल रखी है

तेरे ज़िस्म की तलब नही रुह से मोहब्बत है मुझे
गरूर- ए हुस्न की गलत- फह़मी जो तुने पाल रखी है

मुझे ना बताया करो की तेरे सज़दे में आशिक खड़े है कतारों में
तेरे इंतजार में अंदाज़ ने भी लड़कियां बहोत टाल रखी है

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लिख तो दूँ किस्से बेवफ़ाई के पर आँखें तुम्हारी कहीं भर ना जाये
अभी कुछ लोग यहाँ नये हैं मोहब्बत में हमारे तजुर्बों से कहीं डर ना जाये

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मोहब्बत में जाने किस को‌ कैसा जूनून मिल जाये
उतार दे हर दर्द कागज़ पर तो थोड़ा सूकुन मिल जाये
और मैंने देखा है मोहब्बत खींच लाती है उस हद तक भी
जब ख़तों को नसीब ना हो स्याही तो थोड़ा खून मिल जाये

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31 MAR 2019 AT 14:25

यादों के सहारे रातों को बस काट लिया हम करते हैं

उसे खोने पाने की दुविधा में दिल ही दिल में डरते हैं

वो ना आये तो दिन लम्बे लगते आये तो छोटे पड़ते हैं

हर रोज़ लकीरों से उलझे हर रोज़ ख़ुदा से लड़ते हैं

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30 DEC 2018 AT 13:19

जिंदगी की कब्र में ख्वाहिशों को यूँ दफ़न कर बैठा
खुद को खुद में कर के कैद़ जिस्म को कफ़न कर बैठा

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26 DEC 2018 AT 15:44

पलकों के सिराहने पर अशकों को सुलाने लगा हूँ
दर्द ए-दवा अब ये नुस्खा मैं खुद पर आजमाने लगा हूँ

तुझे भूलने में मैं नाकाम ही रहूगाँ ये मालूम है मुझको
हल ये निकला है की अब मैं खुद को ही भुलाने लगा हूँ

कहीं मुझको ही ना तरस आ जाये मेरी गमगीन हालत पर
रास्ता ये निकला की अब मैं आईनों से नजरें चुराने लगा हूँ

तुझे ठहरा कर गलत मोहब्बत को दाग दे दूँ मेरे वश में कहाँ
तरीका ये निकला की मैं अब खुद को ही पागल बताने लगा हूँ

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