तेरी महिमा से अपरिचित प्रेम है मेरा तेरे लिए सावरे मोहित कर लेने वाला मोर मुकुट धारी बांसुरी वादक कृष्ण कन्हैया माखन मिस्री का शौकीन राधे प्रेम मे लीन तेरी महिमा से अपरिचित प्रेम है मेरा तेरे लिए सावरे।
हे ईश्वर मुझे बस इतनी ताकत देना कि किसी का साहारा बन सकूँ मुझमे बस इतनी भावनाएँ देना कि किसी के आँसू मेहसूस कर सकूँ मुझमे बस इतनी उदारता देना कि किसी से इंसानियत दिखा सकूँ मुझे बस इतनी औकात देना किसी निर्धन को धन दे सकूँ मुझमे बस इतनी समझ देना कि किसी का दुख बाँट सकूँ। -आँचल
कभी सोचा है पुराना खराब या बेकार कब होता है? पुराना बेकार तभी होता है जब नया आता है क्यूंकि नया आने से पहले तो पुराने की कद्र होती है ना फिर चाहे वो कोई चीज़ हो या इन्सान।
यदि पुराना और नया दोनो ही हमारे पास हो तौ पुराना अपनी अहमियत खो चुका होता है या यूँ समझे की पुराने को खोने से डरते है और अपनाने से कतराते है।
जिस जूते को रोज़ उस दुकान मे देखा आज वो जूता मुझे मिला उसको पा कर मेरी खुशियों का ठिकाना ना रहा अब तो बस उन्हे ही सुबह शाम देखता रहता हूँ और आसपास के बच्चो को उसकी तारीफें किया करता हूँ जिस जूते की मैने चाह की आज वो जूता मुझे मिल गया है लाल रंग का जूता है लगता बहुत प्यारा है।
यूँ बेपरवाह हो कर उसकी परवाह की यूँ खुद की हानी कर के उसकी हानी के बारे मे सोचा खुद खाना ना खा कर पहले उसे खाना परोसा और तुम्हे क्या मिला? यही सिर्फ सुनने को मिला ना की आज तक तुमने मेरे लिए किया ही क्या है?