ANAND SHUKLA   (Ehtraaq Anand)
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कुछ कर ही नही पाया
इश्क़ जो कर लिया था....
Joined 9 June 2017


कुछ कर ही नही पाया
इश्क़ जो कर लिया था....
Joined 9 June 2017
12 NOV 2022 AT 13:35

अपने वजूद पर सवालियाँ निशान लेते-लेते
मैं किसी की आँखों में उभर आया हूँ
एक नुकीली चीज़ की तरह
मेरे साथ चलता हुआ शख्स
कुछ न कह पाने का गुरेज़ लिए हुए
पटरियों पर लेटनें जा रहा है;
लेकिन मैं तो ख़ामोश रहने वाला इंसान था
अचानक उसे रोकते हुए
मैंने पूछा
यूँ मर कर भी तो खामोश हो जाओगे
उसने कहा 'जाओगे' को 'करने' में करना है
कर रहा हूँ 'क्रिया' है
जाओगे 'परिस्थिति'
कुछ न कह पाने का बोझ धीरे-धीरे
इतना भारी हो जाता है कि बहुत ज़्यादा दूर तक
तुम्हें जाने नहीं देगा
और हाँ, गर याद आऊँ मैं
तो ये पटरियां याद कर लेना
कुछ कह लिया करो
वक़्त बेवक़्त...

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11 NOV 2022 AT 13:56

तो फिर , सब ठीक है ना
उसने ये कहते हुए,
मेरे कन्धे पर हाथ रख दिया
मैं कुछ कहना नहीं चाहता
तो बस सिर हिला दिया
हाँ या ना ये मालूम नहीं
कहने-सुनने को बहुत छूटा हुआ था
हमारे बीच
और उसने बस इतना कहा
'खुद पर यकीन रखना'...

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8 NOV 2022 AT 10:21

कहीं कोई दुःख मेरे इन्तेज़ार में है
सड़क के दोनों ही तरफ़ लोग थे
मैं तुझको भूल भी जाता तो कैसे
ये दुनिया एक तबाही की तरफ बढ़ रही है
मुझे पता है
और मैं किसी का हाथ पकड़ नही सकता,
उसने नज़रें उठा ली
मैं ये पूछना चाहता था
सुकून से कोई मार क्यों नही सकता
ये कोई न कोई प्रेम करने वाला मिल जाता है
'मैं किसी को छोड़ भी तो नहीं सकता'
लिखा और मिटा दिया...

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7 NOV 2022 AT 16:10

बहुत अच्छे हैं हम
बस इस विचार को जीने के लिए
रोज मरते है
आज का दिन, दिन जैसा ही रहा
थोड़ा शराब पी लेना,
थोड़ा वापस जिंदा होने जैसा ही था
मैंने सिगरेट से साँसे उधार माँगी थी
आज सिगरेट खत्म हो चुकी है...

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19 OCT 2022 AT 19:19

जब आप कुछ सोच रहें हो
और आपके साथ एक दुनिया चल रही हो
दुनिया को एक बार
तो पीछे छोड़ भी सकते हैं
पर तुम...
तुम साथ साथ चलने वालों में से हो...

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23 SEP 2022 AT 19:58

एक लम्बे अर्से तक खुशियां तलाशते-तलाशते
जब कोई ठिकाना नहीं मिलता
तो बिखर जाता हूँ ऐशट्रे में राख की तरह..।
कभी ठीक-ठीक खुश होना हो तो क्या करना चाहिए
ये सोच रहा हूँ
और ये सोचने में दुःख लगने लगा है;
दुःख का अपना हिस्सा होता है जिंदगी में
सुख हमें बाहर से उधार मिलता है,
ज़िन्दगी भरने के लिये
और ये डर हमेशा साथ साथ चलता है ज़िन्दगी में...
खैर एक सुख की बात बताऊँ- वो बोली
मैंने बस सिर हिला दिया, हाँ या ना ये याद नहीं
यूँ तो मैं सुखों से भागता रहा हूँ
पर जब तुमनें कहा
तो लगा तुम्हारे सुख तो सुन ही सकता हूँ
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया;
ये क्या, मैंनें सुख सुनने की बात की थी,
जीने की नहीं...
वो चाहती तो धकेल सकती थी मुझे कहीं दूर
पर उसने गले लगा लिया
मेरी आँखों के आँसू उसके कन्धे पर छूटने लगे
कुछ लम्हों में उसने मेरा सारा दुःख अपने कन्धे पर उठा लिया...

शेष फ़िर..

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19 SEP 2022 AT 20:02

तुम्हारे पास बैठ कर
तुम्हारी उंगलियों को सहलाते हुये
एक ख़्याल जहन में बार बार आ रहा है
हम एक-दूसरे की हथेलियों में हैं या नहीं
एक-दूसरे के खाव्बों में हैं या नहीं
मैंने पूछा ये किस्मत कहाँ तक ले जाएगी
तुम मेरे होंठों को छू कर
इन सवालों के ज़वाब दे दो....

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16 SEP 2022 AT 0:15

हमने शराब से ही दिन की शुरुआत की
किसे दोष दूँ ये ठीक से याद नहीं आ रहा है
लगभग शाम के पाँच बजने वाले हैं
नशे की अच्छी बात ये है
कि वो आपको होश में ला देता है।
हम सब यूँ तो कबके मर गये होते
अगर एक-दूसरे के ख्वाबों में ज़िन्दा न होते;
पास में बैठे शख्स ने बस इतना कहा-
अभी महक आ रही है;
यूँ तो मुझे शर्मिंदगी महसूस होनी चाहिए थी
पर उसने फ़िर कहा- कोई बात नहीं
वैसे तो मुझे ये भी याद नहीं
मैं ठीक-ठीक शर्मिंदा कब हुआ था।
याद आया शायद तब
जब पिता जी ने कहा था-
'मुझे भरोसा है तुम कामयाब होगे'
पर "कैसे"
शायद मैं जल्दबाज़ी में था
तो ठीक से सुना नहीं,
शायद मैं अभी भी जल्दबाज़ी में हूँ
तो......फ़िर कभी....

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31 AUG 2022 AT 9:44

कहाँ मिला
इन हथेलियों को
तुम्हारी कलाई का साथ
कि जिन्हें पकड़ कर
मैं कह सकूँ
तुम भूल गये हो रास्ता
मुझ तक पहुँचने का...

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25 AUG 2022 AT 11:32

मैं नाउम्मीदी से मरे लोगों को
दोबारा ज़िन्दा करने की ख़्वाहिश लिए हुये
कब्रिस्तान के फूलों को
श्मशान घाट की राख को इकठ्ठा कर रहा हूँ
ताबूत में सुकून से दफ़नाए गये लोगों के
कानों के पास जाकर उन्हें बोलना चाहता हूँ
ये दुनिया दर-बदर हो रही है तुम्हारे बगैर ।
न जाने क्यों मैं अभी-अभी किसी जले हुए की
राख अपनी मुट्ठी में दबाए बैठा हूँ
और बस ये सोच रहा हूँ
इन तमाम रूहों को सुकून कैसे मिलेगा
राख पूरी फ़िसल चुकी है
सारे फूल सूख चुके हैं
एक बच्चे नें मेरी उँगलियाँ पकड़ ली
मानों वो कह रहा हो; ऐसे
बस ऐसे...

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