Anand Sagar   (आनन्द सागर की क़लम से)
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Dead
Joined 10 October 2017


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21 JUL 2021 AT 18:18

सब होंगे तेरी मेंहफ़िल में
शायद हम नहीं होंगे।
या यूं कहें कि कोई गम नहीं होंगे...
मेरी गैरमौजूदगी में भी मुस्कुराओगे क्या??.
एक बात पूछता हूं.. बताओगे क्या??
जब भी सच्चे दिल से याद करूंगा
आओगे क्या??

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1 MAY 2021 AT 23:06



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19 JAN 2021 AT 21:13

चांदनी रात और ठंडी गुजरती हवाओं का कानों को छू कर गुजरना,
नुक्कड़ की कुल्फी देख कर तेरा यूं मचलना..
तब एक अलग एहसास हुआ करता था।

बरसों बाद आज ज़रा थक कर खुद से मिलने गई थी,
वैसे तो मैं रोती नहीं हूं, लेकिन आज तेरी याद आ गई थी।

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7 MAY 2020 AT 0:17

ज़मीं भी तुम्हारी, समां भी तुम्हारा,
शहर भी तुम्हारे, गुमां भी तुम्हारा.
जो है ना क़दर इक पहर तुम बता दो..
तो फ़िर क्या हमारा,
और फ़िर क्या तुम्हारा।।

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14 APR 2020 AT 19:50

This is the only one life you've got.
So You've To make a choice to either waste it worrying and panicking like others do or live it to its fullest without wasting a single moment of it.
Doesn't matters of what age, gender or religion you are. All it matters is how you leave your Tension and workload away from you.

Don't restrict yourself from doing things.
Don't judge people's efforts.
Love everything and everyone.
Do all childish activities you want to.
Meet strangers, Get new friends.
Share experiences, learn new experience.
Be a good listener.
Keep yourself happy no matter what happens.
Do more what makes you happy.
Because this is the only one life you've got.

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25 MAR 2020 AT 17:59

हुआ न था ऐसा कभी ज़मानों में,
ज़रूरतें सिमट गई हैं चंद दुकानों में।
अब क्या मुल्क, क्या विलायत है,
बाहर ना निकलो सरकारी हिदायत है।
सड़कें अब श्मशान हो गईं,
शहरों की शोरगुल भी सुनसान हो गईं।
सच बताओ ये कैसा रोना धोना है,
ये वही भूत है न जिसका नाम कोरोना है?
जो डर का आलम फैलता जा रहा है,
बताना ज़रा!
तुम्हारे अल्लाह, यीशु और राम कहां है?
कब दुआ बरसेगी, अवतार कब होगा?
कब बरकत होगी? उद्धार कब होगा?
सिलसिला थम भी न रहा ज़लज़ले का,
इस जहां में राबता भी मुश्किल है,
कहीं और चलें क्या???...

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25 MAR 2020 AT 17:27

ज़िन्दगी कुछ यूं किफायत हो गई,
अब उन्हें तुम्हारी नींदों से भी शिक़ायत हो गई...
क़ैद हो गया है ज़माना चार दिवारी में जो,
लगता है ख़ुदा की इनायत हो गई।।

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18 DEC 2019 AT 13:39

When Existence and absence of few people starts showing impact on your mood..



Samajh lena
“Barbad Ho chuke ho tum”

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26 NOV 2019 AT 1:24

“निगाहों के इशारों को कुछ यूं समझ लो
जो झुकी तो इबादत बा-इल्तिज़ा,
ग़र मिली
तो मोहब्ब्त बेइंतेहा..”

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8 NOV 2019 AT 1:07

किसी रोज़ जब सूरज की किरणें आहिस्ता से किसी बच्चे की आंखे सहलायेंगी...
उम्मम... की आवाज़ बोल कर जो उसकी करवटें बदल जायेगी..
तब हम भी निकल पड़ेंगे अल्हड़ रास्तों पर बेपरवाह मुस्कुराते,
किसी अगले किस्से के लिए....
जो हमसे बिखरा सा है.. उस हिस्से के लिए।

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