बादल के पीछे छिपे,
सूरज की वो पहली किरण,
मुझे बहुत अच्छी लगती है ।
मन का वो मुझसे कहना,
चल उठ जा अब,
देख एक और नया दिन तेरी राह देख रहा है ।
मुझे बहुत अच्छी लगती है ।
पंछियों की वो प्यारी सी आवाज़,
मानो मुझसे कुछ कहना चाहती हों,
मुझे बहुत अच्छी लगती है ।
सुबह-सुबह बारिश की वो बूंदे और,
मिट्टी की वो सौंधी महक,
मुझे बहुत अच्छी लगती है ।
~ Purushottam
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