हम चाँद पर पंहुच गए और तुम धरातल पर लड़खड़ा रहे हो…
राजनीति की नई चौधराहट में घोसी में सभी सिर्फ़ पिछड़ों की बात कर रहे हैं। अरे भाई बात सभी का करो, क्या पिछड़ा, क्या अगड़ा क्या दलित। चुनाव बाद तो तुम भूल जाओगे, काम ऐसा करो जो एकता के सूत्र में पिरोने का हो। हम चाँद पर पंहुच गए और तुम धरातल पर लड़खड़ा रहे हो… जय हिन्द जय भारत
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुरा कर मिलना और अपने अंदर उस मुस्कुराहट को बरकरार रखना, ज़िंदादिल और ईमानदार लोगों का काम है… जिसका मूल्यांकन स्वयं करना पड़ता है ।