Anand Kharwar   (नादान परिंदा)
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Joined 28 July 2019


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27 JAN 2023 AT 16:53



करूंगा आपके सीरत की निगहबानी कभी ,
हां इन खूबसूरत आंखों की मेहमानी भी कभी ....

इन बिखरे हुए जुल्फों को समेटूंगा आपके इजाजत से ,
नही कर सकता है ये ' नादान ' मनमानी कभी ...

ऐसे मुस्कुराहट अगर कोई फूल भी देख ले अनजाने में ,
फिर क्या , खिलते गुलाबों को भी होगी हैरानी कभी ....

ऐसी सादगी जिसका कायल वो आफताब भी है ,
फिर हम क्यों न करे उसकी याद , वीरानी कभी .....


इन्हीं तस्वीरों को उम्र भर तकता रहूंगा मैं,
अगर इस मोहब्बत में हुआ आनाकानी कभी .....


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26 APR 2020 AT 18:31

इश्क़ तो इश्क़ होता है
फिर जाति क्या मज़हब क्या

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29 DEC 2021 AT 12:54

सर्द रातें ,बेचैन दिल, ठंडी हवा, हल्की बारिश ,
जलता अलाव , गर्म चाय ,तस्वीर तुम्हारी ........

उफ़ नादान नशा अच्छा है !

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4 MAR 2021 AT 18:41

हवा के झोकें जैसी याद तुम्हारी
जब भी रूबरू होती है मुझसे,

मैं परिंदे सा रोककर उसको
तुम्हारा पता पूछता हूं ।

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4 MAR 2021 AT 18:26

एक रोज़ तुम्हें मिलेंगे इसी रस्ते के किनारे
तुम बस हाथ हिलाकर मुझको अपना दीदार करना ।

#तुम्हारे_ही_शहर_से

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18 FEB 2021 AT 12:27

बड़े आराम से गुजरता है वो शक्स अपना दिन
मेरे पास तो तन्हाई है फिर भी चैन नहीं आता ।

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23 JAN 2021 AT 20:11

चलो फिर से अनजान बनते हैं
क्या पता मोहब्बत फिर से हो जाए

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1 JAN 2021 AT 21:07

चलो फिर चलते हैं !

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13 DEC 2020 AT 22:37

अपना शहर, सर्द मौसम, और टपरी वाली चाय
बस दो दोस्त साथ हों फिर मोहब्बत किस काम की

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12 DEC 2020 AT 23:53

एक कमरे में सिमट कर रह गई है ज़िन्दगी
अपने यादों का शहर देखो बिल्कुल वैसा ही है

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