नज़रें मिलाकर यूं नज़रें झुकाना आपका समझ में आता हैयूं नज़रें झुकाकर मुस्कुराना आपने लाज़मी क्यों समझा? ज़ख्म तो इस दिल के अभी भी हरे हैं, पुरानी जंग सेयूं मरहम लगाकर आपने ज़ख्म कुरेदना लाज़मी क्यों समझा? -
नज़रें मिलाकर यूं नज़रें झुकाना आपका समझ में आता हैयूं नज़रें झुकाकर मुस्कुराना आपने लाज़मी क्यों समझा? ज़ख्म तो इस दिल के अभी भी हरे हैं, पुरानी जंग सेयूं मरहम लगाकर आपने ज़ख्म कुरेदना लाज़मी क्यों समझा?
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