20 MAR 2018 AT 12:35

नज़रें मिलाकर यूं नज़रें झुकाना आपका समझ में आता है
यूं नज़रें झुकाकर मुस्कुराना आपने लाज़मी क्यों समझा?

ज़ख्म तो इस दिल के अभी भी हरे हैं, पुरानी जंग से
यूं मरहम लगाकर आपने ज़ख्म कुरेदना लाज़मी क्यों समझा?

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