Anamika  
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Joined 26 May 2018


Joined 26 May 2018
5 DEC 2021 AT 23:45

I want to change

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12 MAY 2020 AT 21:45

लाख सोच कर जाते
सब कुछ कहाँ कह पाते
मन वहीं कहता
जो उसे देख कर हैं गढ़ता
उसका एहसास इस कदर हैं छाता
आँखे एैसी खोती
कि जुबां निशब्द रह जाती
और होश तब आता
जब वह ओझल होता
सच....लाख सोच कर जाते
सब कुछ कहा कह पाते।

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16 APR 2020 AT 15:31

कोरोना! कोरोना! कोरोना!
क्यूँ इतना व्याकुल होना।
सावधानी जरा तुम बरतो ना।।
माना संकट है भारी,
चारों ओर फैली है महामारी।
पर हम भी क्या कम हैं,
उस महाशक्ति के हैं अंशधारी
जो कोरोना पर हैं भारी।।
यह विश्वास तुम रखो ना।
थोड़ा मनन चिंतन करो ना।।
कोरोना !कोरोना !कोरोना
क्यूँ इतना.......
निज से निज की यात्रा,
आरंभ तो करो ना।
प्रेम का सागर हैं अपने अंदर
नहीं बाहर कुछ भी इतना सुंदर
नित नया महसूस करो ना।
करोना !करोना !करोना!
क्यूँ इतना.........।
सावधानी जरा तुम बरतो ना।।

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10 APR 2020 AT 21:34

जहाँ कोरोना महामारी से संपूर्ण विश्व त्राहीमाम हो रहा है वहीं कहीं ना कहीं हमारा देश भारत शुद्धता की ओर बढ रहा है।
lockdown के कारण बाह्य रूप से ।
और रामायण के द्वारा आंतरिक रूप से।
जय श्री राम🙏🙏🙏

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1 APR 2020 AT 13:37

कैसी है यह महामारी
घर मे रहने को हुआ है फरमान जारी।
हर पल है जन मानस के लिए भारी।
मानव ने मचाया जो कोहराम
प्रकृति ने बड़े सहे उनके अपमान।
अब है प्रकृति की बारी
चारो तरफ एक ही गुंजन भारी
त्राहिमाम.... त्राहिमाम..।।
कैसी है यह महामारी
घर मे रहने को ........
भय और पीड़ा
व्यप्त , चारो और हमारी।
पर समय है परिवर्तनशील
कुछ भी ना रहेगा स्थिर।
आज है महामारी
माना पल पल है भारी,
पर कल फिर फुल खिलेंगे,
महक उठेगी दुनिया सारी।
तबतक करना है हम सब को एक काम,
बस घर मे रहना लेकर प्रभु का नाम।।🙏🙏🙏

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17 JUL 2019 AT 20:03

ठोकरें इंसान को आगे बढ़ाती हैं।
देती तो दर्द हैं.... लेकिन यही मंजिल तक पहुचाती हैं।

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8 JUL 2019 AT 19:12

नफरत आसान होती है मोहब्बत से....
तभी तो आसानी से अपनाई जाती हैं।

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7 JUN 2019 AT 23:03

विचारों का हैं समंदर तेरे अदंर,
क्या जरुरत है इससे दूर जाने की,
आ डूब... निकाल ले.. बेसकीमती रत्न...
शायद कोई काम आए जमाने की...

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25 MAY 2019 AT 22:39

इनमें कोई राज गहरा है

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18 MAY 2019 AT 14:16

नहीं मुझे
बस लोग कहते है ...महक उठती हैं महफिल आने से तेरी...

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