कैसी है यह महामारी
घर मे रहने को हुआ है फरमान जारी।
हर पल है जन मानस के लिए भारी।
मानव ने मचाया जो कोहराम
प्रकृति ने बड़े सहे उनके अपमान।
अब है प्रकृति की बारी
चारो तरफ एक ही गुंजन भारी
त्राहिमाम.... त्राहिमाम..।।
कैसी है यह महामारी
घर मे रहने को ........
भय और पीड़ा
व्यप्त , चारो और हमारी।
पर समय है परिवर्तनशील
कुछ भी ना रहेगा स्थिर।
आज है महामारी
माना पल पल है भारी,
पर कल फिर फुल खिलेंगे,
महक उठेगी दुनिया सारी।
तबतक करना है हम सब को एक काम,
बस घर मे रहना लेकर प्रभु का नाम।।🙏🙏🙏
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