Anahat Sagar Tanwar   (Anahat Sagar)
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Joined 19 January 2017


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Joined 19 January 2017
24 OCT 2023 AT 14:22

मैं होश में आजकल नहीं रहता
किसी की नज़ाकत-ए-हया ने जो बहका रखा है।

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18 OCT 2023 AT 21:50

लबों पर उतर गई साँसें ऐसे
जैसे समुंदर भी सदियों का प्यासा हो।

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5 OCT 2023 AT 21:23

तुम्हें पसंद है ग़र
गुलाब का निसार होना
फिर मुझे भी तुझे पर
निसार होना क़ुबूल है।

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5 OCT 2023 AT 21:21

तुम्हें पसंद है ग़र
गुलाब का निसार होना
फिर मुझे भी तुझे पर
निसार होना क़ुबूल है।

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16 AUG 2023 AT 22:06

तलबगार-ए-इश्क़ हूँ,
आवारगी मेरी पहचान बन गई।
छूकर देखती कोई रूह मेरी,
गऱीबी दरमियां दीवार बन गई।

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14 JUL 2023 AT 23:15

हर एक अल्फ़ाज़
इबादत-ए-ख़ुदा लगता है।
जो डूब कर तुम्हारी आँखों से
दिल में उतरता है।

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6 JUL 2023 AT 1:04

इजाजत मिल जाए मुझे ग़र,
तेरी चौखट पर सज़दा करने आऊंगा।
ख़ुदा से मोहब्बत है
तू ही बता मैं और कहाँ जाऊँगा?

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25 JUN 2023 AT 16:58

यूं ही नहीं कोई,
कैदखाने क़ुबूल करता।
कुछ तो बात है,
तेरी इन निगाहों में।

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24 JUN 2023 AT 22:38

कायनात-ए-ख़ुदा में,
सिर्फ़ चांद ही नहीं खूबसूरत
नूर-ए-हयात समेटे,
एक मासूम सा चेहरा रहता है
ग़र एक नज़र देख लो,
फ़िर उसके आगे ख़ुदा भी
कहाँ ख़ुदा रहता है।

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24 MAR 2023 AT 0:03

मुक्कमल कहाँ रही ज़िंदगी,
टुकड़ों-टुकड़ों में बंटी रही ज़िंदगी

चेहरे पर देख मुस्कुराहट
मेरी अमीरी का अंदाज़ा लगाते रहे।

ख़ाली जेबों में
बिखरे ख्वाबों से भरी रही ज़िंदगी।

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