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अपनी क्या पहचान दूं,
बस उसी कि तलाश में यहां हूं।।
Joined 30 August 2017


अपनी क्या पहचान दूं,
बस उसी कि तलाश में यहां हूं।।
Joined 30 August 2017
22 OCT 2021 AT 9:21

न जाने कितने सितम किये हैं उन्होंने,
कि अब उनके आंसू भी ज़ख़्म देते हैं ॥

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20 OCT 2021 AT 9:42

रूका नहीं हूँ ए ज़िंदगी,
अभी सब्र कर।
उन्हें तो अभी और दिखाना है,
जिन्होंने हमें कुछ के लायक़ न समझा था ॥

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16 OCT 2021 AT 0:38

कहानी ज़िंदगी की यही है कि,
यहाँ मनचाहा किरदार नहीं मिलता ।

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21 SEP 2021 AT 15:06

बदनाम तो बहुत हूँ इस ज़माने में,
तू बता तेरे हिस्से में कौन सा क़िस्सा आया ।
नफ़रत है, प्यार है या कुछ और,
तू बता मेरे हिस्से क्या आया है ।।

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2 JUL 2021 AT 18:06

ए राह,
तू कहाँ है।
मंज़िल की चाह है,
पर तेरी तलाश है।।

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13 JUN 2021 AT 6:17

वो कहती थी,
आप मुझे सब्र वाली पावोगे।
पर उसने बेसब्री बनने में
इक पल भी नहीं लगाया ।।

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5 JUN 2021 AT 19:46

ज़िंदगी बर्बाद कर दी उसने,
फिर भी कभी नफ़रत न कर पाया,
बेपनाह मोहब्बत जो थीं उनसे ।।

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4 MAY 2021 AT 23:45

जिनकी ख़्वाहिश की तमन्ना हमने की,
उनकी ख्वाहिश हम कभी बन न सके ।
बस ख्वाहिश की तरह हम,
ख्वाहिश ही बन कर रह गए।।

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19 MAR 2021 AT 18:12

उनकी रुसवाई तो देखें,
हमें मनाने के बजाय,
हमसे ही आस किये बैठे हैं ।।

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19 MAR 2021 AT 18:04

ख़फ़ा तो हमें होना था,
उनके रुसवाई पे।
पर यहाँ तो वहीं,
हमसे ख़फ़ा हुए बैठे हैं ।।

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