Amit Singh   (S.h.a.y.a.r.a.n.a)
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Artist by profession
writer by heart
Joined 21 September 2017


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12 JUN 2021 AT 23:56

जाने कितने रंग हैं तेरे,
सारे रंग देखे हैं मैंने!
आंखें कुछ
लब्ज़ कुछ
तो इशारे कुछ और हैं तेरे।

जाने कितने ढंग हैं तेरे,
बहाने ख़ूब देखे हैं मैंने,
बोले कुछ
मतलब कुछ
तो इरादे कुछ और हैं तेरे।

जाने कितने राज़ हैं तेरे
सारे फरेब देखे हैं मैंने,
मुझसे कुछ
उनसे कुछ
तो खुद से सच कुछ और हैं तेरे।

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11 JUN 2021 AT 23:27

पहले तो ख़ुद ही ने दिल तोड़ा,
और हमारी ज़िन्दगी से दफा हो गए।

बरसो बाद लौट कर आए हमारी गली जब,
वो हमे, हम ना देख कर खफा हो गए।

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10 JUN 2021 AT 22:55

गैरों से बताने लगे हो हाल-ए-दिल,
लगता है किसी अपने से रूठ कर बैठे हो।

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18 APR 2021 AT 0:45

झील मे आँखों के उनके उतरे
उतर गए,
सुरमा लगा कर वो यूँ सँवरे
हम सँवर गए,
रेत की तरह मुट्ठी में जकड़ा
यूँ की बिखरे
बिखर गए,
खुद ही कहते थे, ना छोड़ेंगे साथ कभी
ना मुकरेंगे
फिर मुकर गए,
दो पल को हाँथ छोड़ उधर गए
फिर लौटे नहीं
जाने किधर गए...।

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18 APR 2021 AT 0:28

आज फिर किसी ने कलम उठाया,
फिर कागज़ सहारा बनेंगे किसी के।
और लिखते हैं
"आज भी हैं हम उसी के
मगर हो गए वो मुर्शद् किसी के।''

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12 APR 2021 AT 23:11

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था,
मेरी लकीरों से मिट रहा है अक्षर दर अक्षर नाम तेरा
न था मैं तेरा तो वो प्यार किसका था,
और रक़ीब की बांहों से लिपट कर कहती हो
सुकून बहुत था वहां,
फिर जो मुझे महसूस होता है यहाँ
बता वो आराम किसका था....

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19 DEC 2020 AT 6:55

आते हैं मनाने के तरीके बहुत,
तेरे रूठने की वजह पता होती तो।

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19 NOV 2020 AT 11:43

लोग क्या कहेंगे!
कहेंगे ज़रूर, बिना कहे रहेंगे नहीं।
जो बात लोग समझते नहीं,
जो बात हज़म होती नहीं,
जिन्हें साथ देख सकते नहीं,
जो बात समझ आती नहीं,
ख़ुशी जिन्हें रास आती नहीं,
जो आज तक देखा नहीं,
जा आज तक सुना नहीं,
जिससे डरते हैं लोग,
मानने से मुकरते हैं लोग,
जो भेड़ चाल चलते हैं लोग,
दूसरों से जो जलते हैं लोग,
फ़िर
कुछ तो लोग कहेंगे,
लोगों का काम है कहना।।

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19 NOV 2020 AT 1:17

ना कोई रोज़ा, ना मन्नत, ना उपवास,
तुम तो यूँ ही मिल गई मुझे एक रोज़
सर्दी में धूप की तरह,
रात के बाद दिन की तरह,
चिराग में पड़े जिन की तरह,
घनी धूप में पेड़ की छांव की तरह,
भीड़ मे किसी अपने की तरह,
तकिये पर पड़े सपने की तरह,
तुम तो यूँ ही मिल गई मुझे एक रोज़।

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5 OCT 2020 AT 19:54

जो, जा मिलती है नदिया समंदर मे
कोई पुछे उससे,
कैसा होता है किसी के इश्क़ में खारा हो जाना।

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