21 DEC 2017 AT 19:59

हे वीर धरा के उठो आज
कर्त्तव्य के पथ पे बढ़ो आज
फैली बुराइयां है चहुँ ओर
उन सबसे मिलके लड़ो आज

ये मातृभूमि है वीरों की
ये पुण्य धरा है धीरों की
गाथाएं लिखी हैं साहस की
अपने इतिहास को पढ़ो आज

ये माटी अब तुझे बुलाती है
बलिदानों की याद दिलाती है
अब वक़्त है क़र्ज़ चुकाने का
अपनी क्षमताओं से मिलो आज

किंकर्तव्यविमूढ़ सा खड़ा हुआ
किस दुविधा में है पड़ा हुआ
अब भूल के बंधन जात पात का
मिलाके कदम साथ तुम चलो आज

हे वीर धरा के उठो आज, कर्त्तव्य के पथ पे बढ़ो आज

- ✍️Amit ('मौन')