जी ही जी में जल रही होगी.चाँद ने तान ली है चादर ए अब्र्र्र वो अब अपने कपड़े बदल रही होगी ....... Jaun - अमित मनोहर
जी ही जी में जल रही होगी.चाँद ने तान ली है चादर ए अब्र्र्र वो अब अपने कपड़े बदल रही होगी ....... Jaun
- अमित मनोहर