क्या
बेचकर खरीदे
फुर्सत ऐ जिंदगी
सब कुछ तो गिरवी पड़ा हैं
जिम्मेदारी के बाजार में😔-
आपको बहुत से लोग पढ़ते हैं 😊
गलतफहमियों
के चर्चे इतने बढ़ गए हैं
कि हर ईट सोचती है कि
दीवार मुझ पर टिकी है-
अफवाओं का
दौर चल रहा है
तत्काल
जवाब देना सीखो
वरना किरदार पर
वो दाग लगा दिए जायेंगे
जो तुमने किए भी नहीं होंगे-
अपना कहकर सबसे ज़्यादा फायदा उसी अपनापन का उठाया गया।
अजीब बात है, हम सबसे ज़्यादा अनदेखा, अनसुना और उपेक्षित उन्हें ही करते हैं जो हर हाल में हमारे लिए खड़े रहते हैं — बिना कोई शिकायत किए, बिना कोई उम्मीद जताए। जो हमारे होने से ही खुश रहते हैं, हम अक्सर उन्हीं को सबसे ज़्यादा दुःख पहुँचाते हैं - शायद इसलिए कि हमें यक़ीन होता है, वो कभी हमारा साथ नहीं छोड़ेंगे।-
जो रिश्ता कभी बहुत ख़ास हुआ करता था, वही वक़्त और बदलती प्राथमिकताओं के साथ अहमियत खो बैठता है। जो लोग एक पल की ख़बर न मिलने पर
बेचैन हो उठते थे, आज आपकी खामोशी पर भी कुछ महसूस नहीं करते।
जब मौन पर भी कोई शोर नहीं उठता,
तो यक़ीन मानिए —
अब मृत्यु भी किसी को विचलित नहीं कर सकती।
रिश्ते टूटते नहीं,
बस धीरे-धीरे ख़त्म हो जाते हैं...
बिना आवाज़ किए।
हर जुड़ाव में ये ज़रूरी नहीं कि हमें अपनी बात कहने की हक़ और आज़ादी मिले — कई बार पास रहकर भी हम खामोश रहते हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि हमें उस रिश्ते में बोलने का अधिकार नहीं दिया गया होता। क्यूंकि हर रिश्ता वो जगह नहीं देता जहाँ दिल की बात कही जा सके। और यही चुप्पी धीरे-धीरे दूरियाँ बना देती है। जो रिश्ते सिर्फ मौन मांगते हैं, वो मौन धीरे-धीरे मन के भीतर दीवारें खड़ी कर देता है। और वही दीवारें... एक दिन इतनी ऊँची हो जाती हैं कि फिर रिश्ते बस नाम भर के रह जाते हैं, एहसास तो कहीं पीछे छूट जाते हैं।-
समर्पित भाव
से अच्छे कर्म करें,
स्वयं पर विश्वास रखें,
प्रार्थना करें
और अपनी चिंता
ईश्वर को करने दें 🙏-
हमारा प्रयास परफेक्ट बनने से ज्यादा नम्र होने, रियल बनने या ईमानदार बने रहने पर होना चाहिए!
हमे जीवन मे परफेक्ट लोगों से ज्यादा वह लोग याद रहते हैं जो हमारे साथ नम्र थें, तब जबकि वह हमसे ऊँचे ओहदे पर थे, और नम्र होना उनकी विवशता नहीं, उनका चुनाव था।
हमें वे लोग याद रहते हैं, जिन्होंने अपना रियल चेहरा ईमानदारी से हमारे सामने रखा! न की वो जिनके मीठे दोगलेपन से हमने संघर्ष किया।
लोग बनावटी मीठे शब्दों से नहीं....मीठे व्यवहार से याद रह जाते हैं!-
जिसके
आंख का तारा था मै
ओ आंखें अब सो गई
अब कहा करता मुझपे नाज कोई
मां कहे आज वर्षों बीत गए 😭😭-
#गृहिणी बहुत ही मामूली सा शब्द
परंतु इसका शाब्दिक अर्थ बहुत गहरा है
'सारा गृह..जिसका ऋणी'..वही गृहिणी है..!
#महिला_दिवस की शुभकामनाएं 💁🙋🤱-