AMIT ANURAGI   (अमित 'अनुरागी'✍)
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Joined 19 June 2017


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Joined 19 June 2017
22 APR 2019 AT 8:34

भोग छप्पन लगाये तेरही में उसकी,
मरा था जो शख़्स भूख से तड़पकर।

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31 MAR 2019 AT 19:01

उसकी बातों में सच नहीं होता।
मिरा दोस्त भी 'अख़बार' जैसा है।

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23 JUL 2018 AT 21:08

चर्चे कामयाबी के हों हमेशा, ये लाज़मी तो नहीं।
बर्बादियाँ भी शख़्स को, मशहूर किया करतीं हैं।

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12 AUG 2021 AT 13:14

तिरे हुश्न के इतने कायल हैं।
दिल सबके घायल-घायल हैं।

हर शख़्स के ख़्वाबों में है तू,
हर शख़्स की आँखें बादल हैं।

ईशान समझते हैं तुझको,
ये लोग भी कितने पागल हैं।

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6 AUG 2021 AT 7:40

हर इक मसअले का है हल
'तुम्हारा कान का झुमका'

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19 JUN 2021 AT 17:06

आकर मुकाम पर महसूस हुआ,
मुझे सफ़र में रहना चाहिये था।

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29 MAY 2021 AT 17:12

अगर
तुम्हें लगता है
कि तुम सही हो,
तो यक़ीनन
तुम सही होगे,
सिर्फ़ अपनी
कहानी में।

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27 MAY 2021 AT 10:33

'प्रेम'
होना चाहिये
तराजू के
ऊर्ध्वाधर
कांटे के समान
अपनी माध्य
स्थिति में,
जो रखता है
संतुलित,
तराजू के
दोनों पलड़े।

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19 APR 2021 AT 21:29

मुझे यकीन है,
तुम आओगे और
मिलोगे तपाक से गले।
जैसे मिलते हैं,
बारिश की बूँद और धरती,
चुम्बक के दो विपरीत सिरे।
जाना तुम्हारी मर्ज़ी हो सकती है।
लौटकर आना है,
क़ुदरत का नियम।
जैसे लौटकर आतीं हैं ऋतुयें,
लौटकर आता है पेंडुलम।
ठीक वैसे ही,
लौटकर आओगे "तुम"।

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5 APR 2021 AT 15:33

मैं हमारी मोहब्बत को
अधूरा छोड़ देना चाहता हूँ।
क्योंकि "अधूरापन" होती है वज़ह,
किसी को पाने की,
किसी से प्यार करने की।
मैं नहीं चाहता कि
हमारा इश्क़ मुक़म्मल हो,
और ये अधूरापन ख़त्म।
मैं चाहता हूँ बस
तुमसे प्यार करना,
हमेशा हमेशा के लिये।

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