पहर कोई ऐसा भी हुआ करे
तू मुझ से मिलने की दुआ करे
आ रहा है एक सदी से कोई
इस इंतेज़ार को कोई अब सज़ा करे
अब के मेहबूब के पाँव भी पड़ लेना
कोई कुछ भी कहता हो तो कहा करे
देखना कहीं इन्हीं में दफन न हो
पिंजड़े से कह परिंदे को रिहा करे
तू ने उसको खोया है कोई दुनिया खोई नहीं
हाँ फिर ऐसी दुनिया का कोई क्या करे
ख़ामोश लब और शोर करती हुई आँखें
हिज्र में कोई क्यों न हंगामा बरपा करे
मुझ सा ख़राब तुम्हें कोई न मिलेगा
क्यों तुझ से कोई ख़राबातियाँ मिला करे
-