बड़ी छोटी लगती थी ये ज़िन्दगी तेरे संगपर अब जैसे थम सा गया हूँ मैं ।तेरा साथ ढूंढने निकला कई दफापर आज इस मोड़ पे थक गया हूँ मैं ।तेरी उम्मीद के उजालो में ढूंढता रहा राहेपर इस तन्हाई के अंधेरे में अब कही भटक गया हूँ मैं ।। - Aman Mishra (cheeteh)
बड़ी छोटी लगती थी ये ज़िन्दगी तेरे संगपर अब जैसे थम सा गया हूँ मैं ।तेरा साथ ढूंढने निकला कई दफापर आज इस मोड़ पे थक गया हूँ मैं ।तेरी उम्मीद के उजालो में ढूंढता रहा राहेपर इस तन्हाई के अंधेरे में अब कही भटक गया हूँ मैं ।।
- Aman Mishra (cheeteh)