Aman Kr Barnwal   (अद्विन)
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🙂
Joined 18 April 2018


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Joined 18 April 2018
6 JUL 2023 AT 15:54

मानसून

सूना सूना था जग सारा तेरे बिना
अच्छा हुआ मानसून तुम आ गये,
गर्मी तपिश की व्यथा थी केवल
शीतल मधु वर्षा लेकर तुम आ गये।
निष्प्राण हो चला था धरा पे जीवन
अमृत भरे मेघ झुंड गगन पर छा गये,
काले भंवरों बिन अधूरा है उपवन
आज हर उपवन पे काले मेघ छा गये।
हर निराशा आशा में बदल चुकी
तुम जीवन के हर रूप को भा गये,
दुःख से छलकता था हर कोई यहां
उल्लास वाले गीत सभी को भा गये।
ऋतुराज बसंत को मानते हैं यूं ही
शायद पवन से मानव जन भरमा गये,
नूतन वर्षा काल का आगमन हो गया
दूसरे ऋतुओं के प्रशंसक शर्मा गये।

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21 FEB 2022 AT 22:24

जन्नत


दबी-दबी ख्वाहिश सभी की
जन्नत में जाने की दिल में है,
कंपकंपाती है रूह उन्हीं की
जब जानें, जान मुश्किल में है।

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5 FEB 2022 AT 21:31


अधूरापन

व्यर्थ है पूर्णिमा की आस
मुझे है अधूरे चांद की प्यास,
परिपूर्ण है रसविहीन सच में
अधूरेपन से चलती है श्वास।
प्राप्त हो जब सब जीवन में
शिथिलता होगी तन-मन में,
सबकुछ जब हो अपने पास
क्या करेंगे इस जग में तलाश?

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8 MAY 2021 AT 17:37

आजकल


बेकाबू हैं ये ‌ हालात आजकल

बस में नहीं जज़्बात आजकल,

फ़ुरसत ही फ़ुरसत में हैं सब पर

जानलेवा है मुलाकात आजकल।


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21 FEB 2021 AT 8:29

रात को निकले जब भी सफ़र पर
पहुंचे सही जब भी आसमान देखते रहे,
दिन के उजाले में भटके बार-बार
जो अंजान कदमों के निशान देखते रहे।

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20 DEC 2020 AT 5:24

ख़्याल

कसकर जो जकड़ी हैं
अपनी ही उंगलियां,
किस ख़्याल में डूबी हो?
आंखें हैं गीली कब से
दबी हैं कुछ सिसकियां,
किस ख़्याल में डूबी हो?
लकीरें हाथों की माथे पर
होंगी कुछ मजबूरियां
किस ख़्याल में डूबी हो?
कह सको तो कह दो
तोड़कर खामोशी दरमियाँ
किस ख़्याल में डूबी हो?

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28 NOV 2020 AT 19:26

ज़िन्दगी तेरा साथ मुझे भाता रहा
अपना हूँ तेरा ,ये तुझे जताता रहा ,
दिये तुमने गम न जाने कितने सदा
चंद लम्हे पा खुशी के,मुस्काता रहा|

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18 OCT 2020 AT 20:56

मना लो ढंग से नवरात्रि का त्यौहार
पर लो सच्चा प्रण तुम अबकी बार,
हर माँ बहन बेटी हमारी जिम्मेदारी
बन जाना ढाल, उनपर जब हो वार|

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8 OCT 2020 AT 3:56

तेरी यादों से लिपटे जगे रात भर
अपनी बांहों में सिमटे रहे रात भर,
खुली जब नींद ढूंढा कलम कागज़
बेसब्र हो दर्द बयान किया हाथ पर|

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27 SEP 2020 AT 10:59

पैसा वैसा सही नहीं
जो करे हमें बेचैन,
पैसा ऐसा ही है सही
जो दे दिल को चैन |

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