Alok Kumar  
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सबसे मुश्किल काम है अपने बारें में लिखना।
Half blogger
Joined 11 June 2018


सबसे मुश्किल काम है अपने बारें में लिखना।
Half blogger
Joined 11 June 2018
16 FEB 2022 AT 11:29

कोख से जन्मा राजा हूं मैं, योद्धा हूं मैं;
शुलगी हूं मैं; जन्म से ही पुरूष हूं मैं।

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28 MAY 2021 AT 22:43

वक्त से पहले जब हम नही मिले थे
तब कितना बेदाग़ सा रहा था जिंदगी
आज हमने तुमको दाग़ - दाग़ कर दिया
पर कोई बात नही!
फिर किसी रोज़ ऐसे ही बैठकर
अपना - अपना दाग़ चेहरा मिलकर
बेदाग़ कर लेंगे।

तुम मेरा साथ देना मैं तुम्हारा साथ दूँगा...

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22 NOV 2020 AT 9:36

माली हूँ तुम्हारे दिल के
इसे फूल समझकर
तोड़ मत देना
नही तो कैसे
बैठेंगी भौरे इसपर
जैसे तुम बैठा
करती हूँ मेरे दिल पर...।

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21 NOV 2020 AT 19:21

उसके नज़र के फ़ेर में
रुख्शियत शी थी
मेरे नजऱ के फ़ेर में
मासूमियत जो थी
उधर आहिस्ते-आहिस्ते से
क़दम चल रहे थे
इधर जल्दीबाज़ी में
कदम चल-चल के
लड़खड़ा रहे थे
आख़िर का वह दिन
भी आ गया जब तुमने
सब कुछ छोड़ के
आ ही गयीं...।

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20 NOV 2020 AT 17:45

संस्कृतियों को घाट से शुरू करके
माथे से लेकर नाक तक सिंदूर लगाकर
सुपिली में फल रखकर
डूबते सूरज व उगते सूरज
को अरघ चढ़ाकर
जब छठ मईया के नाम
गीत गाते हुए जाती
महिलाएं कहती हैं
कि!
उठs हो सूरज देव,
भइले अरघ के बेर।
तब लगता है कि हमारी
सभ्यता व संस्कृति अभी
बची हुई है।

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19 NOV 2020 AT 10:11

ये हक़ है हमारा
तुम छीन नही सकती
यादें बेवज़ह नही आती
कुछ तो बात है
तुम्हारी रूहानी बातों में
यहाँ!
दर्द-ए-दिल का मामला है
ज़रा ध्यान देना
अपनी मोहब्बत पे
क्योंकि यहाँ
वजहें ज़रूरी नहीं होती...।

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18 NOV 2020 AT 14:15

तेरे ख़त को गंगा में बहा कर आया हूँ
जलते हुए आग में जला कर आया हूँ
नज़र रखना अपने दिल पर
कहीं कोई अरमानों को भिगोकर
न चला जाए...।

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16 NOV 2020 AT 15:16

मंजिल का पता नही
साथ चलने को
कोई तैयार नही
रास्ते हैं उबड़-खाबड़
पर जाना तो है अपने रास्ते...

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14 NOV 2020 AT 11:21

जहाँ भी रहें
एक दिया
अपने देश के
सैनिक
किसान
मजदूर
सिपाही
और भी तमाम
उन सभी को
जिन्होंने
हमारे लिए
इतना सब कुछ किया।

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13 NOV 2020 AT 21:25

हर बार की तरह
इस बार भी
दीवाली में घर
नही जा पाए न
कौन है यहाँ इस शहर में
तुम्हारा!
अकेलेपन के सिवा
कभी तो जाओ
इस बेरुखा सा शहर
को छोड़ के
अपनो के यहाँ...

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