Alizeh   (अलिज़ेह)
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Joined 3 October 2017


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30 MAY 2021 AT 21:39

सिर्फ एकबार गले से लगा लेने दे हमकों
मैं वो फूल हूँ जो मुरझाकर भी खुश्बू देता है...

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3 MAY 2021 AT 14:18

जरूरी नहीं की पर्दा हो आँखों पे,,
गर इंसाँ चाहें तो इक मूरत को भी ख़ुदा कर सकता है।

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3 MAY 2021 AT 13:12

क़भी-क़भी इतना सहज लगता है उसकी आँखों में देखना,,
और क़भी-क़भी जैसे लगता है की सब झूठ है।।

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3 MAY 2021 AT 13:01

ना बन सकेगा कोई तेरे आँखों की कशिश का राज़दार,,
हमनें अक्सर सादे कपड़ों में अँधेरे को मिटते देखा है।।

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19 JUN 2020 AT 2:38

हर सूखे पत्ते की इक अदद अपनी दास्तां है,,
वो टूटता भी तब है जब उसे चाहता कोई नहीं...

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19 JUN 2020 AT 2:20

यह बारिशें भी अक्सर रोती है, रात के इक अकेलेपन में,,
अक्सर हौले से बरसती है जब कोई उन्हें ध्यान से सुनता है।।

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17 JUN 2020 AT 12:13

सिर्फ एकबार गले से लगा लेने दे हमकों,
मैं वो फूल हूँ जो मुरझाकर भी खुश्बू देता है...

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16 JUN 2020 AT 10:16

ढूँढोगी आखिर तुम भी मुझें इन्हीं कहकशा में कभी,
और तब मैं आँखों में बारिश बनकर उतर आऊँगा...

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16 JUN 2020 AT 3:26

यूँही नहीं आयेगा ये सितम आँखों में ढूंढे जानें पर,,
कई सदिया लगी थीं तब जाकर कहीं बादल में पानी आया था।।

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23 APR 2020 AT 20:36

वो बारिश में संग भींगना,
साथ चलना दूर तलक और
भीड़ में खो जाना..
याद नहीं आता!
वो पुराना सपना,
मीठी नमकीन यादें,
और बचपन का वो पालना...
याद नहीं आता!
वो खट्टी बेर सी इमलिया,
खारे पानी में तैरती वो छोटी बड़ी मछलियां..
क्या सच में याद नहीं आता??

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