मैं चलूंगा किसी रोज
तुम तक पहुंचने की चाह में
पर मुझे भी इल्म है
पहुंच नहीं पाऊंगा तुम तक
शहरों तक नहीं सीमित रहा
हमारे बीच का फासला
ये बढ़ गया है उससे कहीं ज्यादा
फासला अब समय का है
तुम रह रहे हो किसी और वक्त में
मैं किसी और वक्त में रह गया
कई सभ्यताएं बसाई जा सकती हैं
हम दोनों के दरमियान
पर मैं चलूंगा किसी रोज
तुम तक पहुंचने की चाह में।।।
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