तुम आना किसी शाम वक्त निकालकर,
मै सूरज को ढलने से रोक लूंगी|
चाय पे चर्चा नहीं, कॉफी पे बातें करेंगे,
थोडी कडवीं, थोडी सच्ची और ...
थोडी मिठीं,
कॉफी के हर घुंट पे गेहरी होती बातें|
बातें गेहरी होती जायेगी,
वैसे वैसे शाम ढल जायेगी |
ढलती शाम का आंचल छोड के,
चांद का हाथ थामे, रात जवान होगी |
चांदनी की रुमानी छाॅंव में,
तुम्हे हमसे, हमे तुमसे प्यार हो जायेगा |
तुम आना किसी शाम वक्त निकालकर...
#alexasays
-