21 JUN 2018 AT 23:32

कुछ अलग ही नशा है
रात की इन टिमटिमाती रोशनियों को देखने में,
नूर ए चाँद और इन सितारों की
महफिल को समेटने में।
सब भुला देता है
कितना मासूम है ये समा
कुछ ऐसा है मानो
चाँद और इश्क़ की आज मेराज है।
कल का क्या पता
ये मेराज हो ना हो
पर यही तो यहां का रिवाज़ है।

- Akanksha