Akancha Singh  
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Joined 30 December 2016


Joined 30 December 2016
22 JUN 2020 AT 0:45

कुछ कह देने और मौन रहने के बीच में मैंने युद्ध-विराम लगा दिया है। इसके टूट जाने का डर मेरे अंदर कैद है, शायद इसलिए क्योंकि मुझे कह देना नहीं आता, मेरी बातें हलक में अटक जाती है और बाहर महज़ कुछ शब्द आ पाते है। फिर वह हलक में अटकी हुई बात को मैं बची हुई सिगरेट के लंबे कश के साथ घोट जाती हूँ, जैसे कि वह कभी थी ही नहीं।

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22 APR 2020 AT 10:35



ए- ज़िन्दगी तुझसे शिकायत है तो बस इतनी सी है
तू मेरी है पर मुझ जैसी लगती क्यों नहीं है।।

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12 JAN 2020 AT 0:51

बदनामियां, ज़िल्लत, जुदाईयां
उसकी मोहब्बत ने सारे दिन है दिखलाएं।।

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12 JAN 2020 AT 0:48

कुछ राज़ उसने झुठला दिए
कुछ दिल दुखने पर मैंने दफना दिए।।

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11 JAN 2020 AT 20:52

The world is full of colours, you can only hide behind black and white.

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11 JAN 2020 AT 1:16

वो पत्थर तुम्हे बहुत चुभेगा
याद रख लो यह वक्त,क्योंकि आने वाला तुम्हे बहुत खलेगा।।

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9 JAN 2020 AT 0:26

जिसके आँसू बेह गए, सो है वो भी आदमी
जो आँसू बहा गया, सो है वो भी आदमी।।

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8 JAN 2020 AT 23:13

एक ठिठुरता हुआ शख़्स, ठिठुरती हुई आग को देख रहा था। ख़ामोशी के कारण सड़क गीली पड़ी हुई थी, और आग वक्त के साथ-साथ पिघलती जा रही थी। जनवरी का महीना सर्द हवा, बगल में रखा हुआ ख़ामोशी का लिहाफ़, यह सब उस ठिठुरते हुए शख़्स को चमकती हुई आँखों से घूर रही थी और वह शख़्स अपनी समझ से आग के आँसू को राख की चादर बनते देख रहा था।

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15 DEC 2019 AT 20:11

वो लोग जो मुझे पागल समझते है
उनसे कह देना, दुनिया मुझे इसी नाम से जानती है।।

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15 DEC 2019 AT 18:49

हर शाम की एक कहानी होती है
हर लहू का एक शरीर होता है
किसकी शाम, किसका लहू
ज़िक्र ताउम्र कहाँ होता है

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