ak _dg Ahmed   (Anjaanइंसान)
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Dead 🖤
Joined 24 November 2017


Dead 🖤
Joined 24 November 2017
26 OCT 2020 AT 19:45

Kaash Ke Zindagi
Yahi Khatam Aur Shuru Ho,

Kuch Pal Ki Hi Sahi Magar
Yeh Kudrat Wali Sukoon Ho.

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16 JUL 2020 AT 14:10

भूल गए सब तुम,
कुछ हमे याद रहा।

कल जन्मदिन था मेरा,
कमब्ख्त वो भी बर्बाद रहा।

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10 JUL 2020 AT 16:02

ज़मीन को आसमान चाहिये था
मेरे ख़्वाबों को एक मुक्कमल आशियाँ चाहिये था

क़बूल हो गई सबकी दुआएँ
महज़ मेरे हिस्से ख़ुशी न आई

मैंने तो सिर्फ़ तुझे ही मांग था
मुझे कौन-सा पुरा जहाँ चाहिये था।

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10 JUL 2020 AT 15:45

मेरे अल्फ़ाजों से दिल दुखा आपका,
माफी चाहता हूँ, आप क्यों जाएंगी कही,
हम ही चले जाते है वो भी अभी।

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10 JUL 2020 AT 12:42

हो बेगैरत तुम खुद से वास्ता नहीं तुम्हारा,
हमसे मोहब्बत का दावा करती हो।😡

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10 JUL 2020 AT 11:17

ये नींद हमसे क्यों ख़फ़ा हो गई,
सुकून भरी थी रातें मेरी
फिर क्यों ये रातें हमसे जुदा हो गई।

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10 JUL 2020 AT 11:06

है आज अंजान हम तेरे लिए,
कभी थे परेशान तुम मेरे लिए।

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7 JUL 2020 AT 20:23

सुकून देता एक नज़ारा बन गया,
एक शहर कमब्ख्त आवारा बन गया।

जहाँ तक उठी लहरें,
वहाँ तक ख़ामोशियों का किनारा बन गया।
एक शहर कमब्ख्त आवारा बन गया।

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6 JUL 2020 AT 1:42

है कोई और तुम्हारी राह तकता,
मगर तुम तो मशरूफ हो माज़ी में कही।

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5 JUL 2020 AT 20:36

एक तेरी ख़ातिर हमने,
अपनी की ख्वाइशों का गला घोंटा।

एक तू सितमगर है जो,
हम से मिलना भी नहीं चाहता।

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