अज्ञानी   (अज्ञानी)
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यहां तक पहुंच गए हैं आप
यानी हीरा ढूंढ ही लिया
Joined 10 October 2017


यहां तक पहुंच गए हैं आप
यानी हीरा ढूंढ ही लिया
Joined 10 October 2017
21 MAY AT 20:58

बाहरी ज़ख्म भर गए
पर रह गया अंदर,
बनके अंदरुनी हिस्सा मेरा,
उनसे उभरा हुआ दर्द
याद है इसलिए
वो "ज़ख्म"

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10 MAY AT 23:22

इश्क ही है ये , ये कुछ और नहीं है
कुछ और होता तो, सिर्फ मुझसे न होता

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29 JAN AT 17:49

जहां से तुम चढ़ी, मैं वही उतरने वाला था

तुम्हे देखकर, तुम्हारे साथ चल दिया

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26 JAN AT 21:30

काश की तब ही बता देता तुम्हे, अपने दिल की बातें
तकलीफ फिर इस दिल की, कभी बड़ी न थी

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26 JAN AT 12:51

तू सारे जहां का अरमान थी
में भी तेरा कायल था, मेरी खता न थी

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जब तुम्हें परखने की चाहत की थी मैंने
तब तड़पने की भी चाहत की थी मैने

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22 JAN AT 20:21

उसकी अभी सिर्फ याद ही आई थी
ज़ख्मों का सैलाब बढ़ गया मेरी तरफ़

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देखो! आज फिरसे मुझे मिलने तन्हाई आई है

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The life gets end.
But the love or
The hate
Towards that life
Remains forever in the hearts
Of the others

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19 JAN AT 14:57

प्यार सिर्फ एक ही बार होता है
दोनों ही जगह फिर वो प्यार नहीं होता है

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