ये नम_आँखें बयां करती,
बड़ा है दर्द सिने में..
ज़ुबां कुछ कह नही पाती,
ये बेबस है ज़ुबानों से..
टूटा अंदर बहुत कुछ है,
नही कोई शब्द उसके है..
ये आंखों से गिरे आंसू,
बयां करते है बेबसी..
#अजय57-
बंसी की धुन की,
राधा दीवानी..
मीरा दीवानी,
हुई श्याम की.
हिस्से में कान्हा,
हुए रुकमणी के..
अब भी है ब्रज में,
इनकी की कहानी..
राधा बिना कृष्ण,
अब भी अधूरे..
मीरा अधूरी,
बिना श्याम की..
जिसने जो चाहा,
वो ना मिला..
कान्हा ये कैसी,
कहानी तेरी..
#अजय57-
जिंदगी का वादा,
तुमसे है आज करना..
नही छोड़ेंगे हम हाथ,
पूरी जिंदगी तुम्हारा..
तेरा साथ जब से पाया,
दुनियां मेरी बदल दी..
खुशियां अपार देकर,
तूने मायने बदल दी..
बिछड़ेगें ना कभी हम,
वादा है तुमसे मेरा..
साया तू बनके साथ,
रहना हमेशा मेरा..
#अजय57-
वक़्त_बेवक्त कुंडी बजाकर,
करते हो परेशान मुझे..
कान्हा अब नही छेड़ो मुझको,
कह दूंगी मैया से मैं..
बार-बार घर आ जाते हो,
माखन खाने के लिए..
मटकी तोड़ के रख दी सब है,
तेरे सखा मंडली ने..
सिखहर खाली पड़ा हुआ है,
मटकी टूटे बिखरे है..
देखो घर का हाल है कैसा,
एक भी सही न मटकी है..
#अजय57-
वक़्त बेवक्त यादें तेरी,
मेरे ज़ेहन में आ जाती है..
हम अतीत के पन्नों में,
फिर घिरे से खो जाते है..
चलचित्र की तरह यादें,
दृश्य पटल पर चलते है..
गुज़री याद जीवंत हो जाते
जैसे कल की बातें हो..
तुमसे बिछड़े अर्सा हो गए,
साजन की आगोश में हो..
हम अतीत की यादों में,
तुमसे ही आलिंगन हैं..!!
#अजय57-
एक_तरफा_प्यार की चाहत में,
मैं वक़्त किया अपना बरबाद..
हांसिल नही हुआ उनका प्यार,
वो औरो की हो गई है आज..
#अजय57-
प्रस्ताव स्वीकार कर तुमनें,
साकार किया मेरा सपना..
आकर प्यार है लेने लगा,
हम बुनते भविष्य का सपना..
तुम्हें चाहा मेरा दिल ने था,
स्वीकार प्यार कर पूरी की..
तूने दी खुशियां अपार मुझे,
जीने की चाह है बढ़ने लगी..
जीवन के पथ पर संग दोनों,
अब साथ चलेंगें मिल करके..
दुख सुख में साथ निभाएंगे,
नही छोड़ेंगे एक दूजे को..
#अजय57-
ये_अधूरी_ख्वाहिशें
रह जाती है अधूरी..
यादें पुरानी अक्सर,
कर देती तन्हा दिल को..
हम क्या बताएं तुमको,
किस्सा है यह पुराना..
जिसे चाहा दिल था मेरा,
मुझको नही मिला वो..
यादों में आज भी वो,
रहतीं है साथ मेरी..
उनके बिना कोई पल,
गुज़रा नही है मेरा..
#अजय57-
ये_अधूरी_ख्वाहिशें
रह जाती क्यों अधूरी..
होता नही मुक़्कमल,
कुछ ख़्वाब जिंदगी के..
किसको यक़ीन होगा,
कभी साथ हम चले थे..
वो साथ चलते-चलते,
बीच राह मुड़ गई थी..
यादों में आज भी वो,
करती बसर है मेरी..
तनहा गुज़रता दिन,
बिना उनके जिंदगी के..
#अजय57-