22 OCT 2017 AT 9:58

ना हमारे "इश्क़" का रंग ,आसमान कि तरह नीला था।
ना हमारा "इश्क़" ईटो पे लाल रंग कि तरह रंगा था।
ना ही हमारा "इश्क़" खेतों में फसलों कि फुटती नज़्म कि तरह था।
हमारा "इश्क़" बस संगम कि तरह था।
जो मिले भी लेकिन उनके "इश्क़" का रंग पानी कि तरह बेरंग था।।
अधूरी आकांक्षाए

- Akanksha tripathi