तिरंगे का बढ़ा के गौरव शहादत उसने अपनाई थी
देश के खातिर ही तो उसने अपनी जान गवाई थी
खाकर गोली सीने पर उसने देश की शान बढ़ाई थी
और एक एक सैनिक ने सौ सौ को धूल चटाई थी
तिरंगे का बढ़ा के गौरव शहादत उसने अपनाई थी
और देश के खातिर ही तो उसने अपनी जान गवाई थी
विजय तिलक करकरे पत्नी ने उसको बंदूक थमाई थी
माँ के आर्शीवाद ने ही तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ाई थी
तिरंगे का बढ़ा के गौरव शहादत उसने अपनाई थी
और देश के खातिर ही तो उसने अपनी जान गवाई थी
हिन्दू मुस्लिम सबने आज़ादी की क़सम खाई थी
और आज़ाद भारत की छवि सबने अपने मन में बसाई थी
लाखों लोगो ने आज़दी के लिए अपनी जान गवाई थी
तब जाकर ही तो ये 15 अगस्त की शुभ घड़ी आई थी
तिरंगे का बढ़ा के गौरव शहादत उसने अपनाई थी
और देश के खातिर ही तो उसने अपनी जान गवाई थी
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