Aditya Tewari   (Banda Veragi)
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A metaphor constructed by a constant weakness, who is perceptive for his meaning.
Joined 27 November 2017


A metaphor constructed by a constant weakness, who is perceptive for his meaning.
Joined 27 November 2017
6 FEB AT 23:50

आखों मे आसु छिपा घूम रहे ज़माने से,
क्या तुझसे भी ये छिपा है?
बाहों में आ धड़कन समझती थी जो,
क्या धीमे होते इस दिल को सुन रहीं?
सवाल है खूब मन में भरे,
पूछूं किससे तू जो अब पास नहीं
दर्द देख साथ देती थी जो,
क्यूँ मेरी गीली आखों की नमी बन रहीं 
ज़माने से बेपरवाह वोह,
आज केसे ज़माने की दुहाई दे मुझसे छूट गई ।

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28 DEC 2023 AT 1:41

किताब जो हाथ मे है आपके,
दास्तां क्या ये बयां करती हैं,
एक ओर मीनार ए कुतुब है,
एक ओर आपकी निगाहें।

उठ रहीं क्यु ये बेचैनी,
कहानी जानने को बेताबी।
सफ़र मैं व्यस्त इस भीड़ मै,
यह मुस्कराहट खूब लुभा रहीं।

नजरे चुराने का ये बहाना है ?
या है ये आपकी फितरत,
किताब मै खोई ये नजरे क्यूँ मेरे मन को बहका रहीं।

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22 DEC 2023 AT 0:27

ज़ख्म
ना हुस्न का जादू था, ना थी वो उनकी सूरत,
जिस बात पर हम फिदा हुए वोह थी उनकी फितरत।

दूर रह के भी महसूस करेंगे उनका साथ,
उनका दिया वक्त, उनकी दी मोहब्बत।
दूरी रहे चाहे जितनी ये दिल पास ही रहेंगे,
भूलना चाहे भी अगर तुझको तो भूल ना सकेंगे।।

तेरे साथ लिपटे जो अपनापन मैने पाया है,
रूहधे गले तुझे अपना बताया है,
तेरे इस मासूम चेहरे का दीदार ना जाने अब कब होगा,
कब तुझे छू अपना कह ये दिल पिघलेगा ।

शायद तेरी याद में दो आंसू भी निकाल आए,
कभी कुछ तारीखें याद कर जज़्बात बेह जाए।

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22 DEC 2023 AT 0:01

शराब मै नशा होता तो हमको भी पता होता, 
कायरों की महफ़िल मै हमारा भी नाम होता।

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14 NOV 2023 AT 0:35

कहना चाहता हूं बहुत कुछ
लेकिन मौके चोर लिए है मैंने
सुनना चाहता हूं बहुत कुछ
लेकिन फैसले ले लिए है मैंने

कभी मौके नहीं मिलते
कभी तुम नहीं मिलते

हाथ प्रेम पत्र लिखते थे जो
मीठी बातों मैं रस लेते थे जो
आज क्यों टूटे मन को वो जोड़ रहे

रात से सुबह हो रहीं
खामोशी क्यों खल रहीं
मजबूती का मुखौटा ओढ़े
कायरता क्यों झलक रहीं

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9 JUL 2020 AT 0:07

ऐ दिल तू क्यों उधर उड़ता है जिधर तेरी कीमत नहीं,
क्यों सुबह-शाम ठोकर खा फिर हिम्मत दिखाता है,
अपनी नेक नीयत छुपा क्यों निष्ठुरता को अपनाता है।

चाहने वालो की चाह मै क्यों आकाश की बदली में आकार बनाता है, सक्षम होते हुए भी खुद को अक्षम पता है।

क्या तेरी कहीं कोई कीमत नहीं, क्या दिल की भी क़ीमत लगती है ?
तू तो एक अनमोल रत्न है तेरी क्या कोई कीमत लगाएगा,
जौहरी के हाथ जिस दिन आएगा स्वयं मूल्यवान बन जाएगा।

दर्द से सिकुड़ते आपने आकार से क्यों घबराता है,
उनके जवाब के इंतजार में खुद से शर्माता है।
आंखो में नमी भर अकेले में तड़प ले, ये नमी किसी को दिख गई तो सवाल उठ जाएंगे; जिनके जवाब देने में तेरे प्राण निकाल आएंगे।

ऐ दिल! ये तेरा ही बोया है तू ही काटेगा,
इस दर्द से या तो पिघलेगा या कठोर बन जाएगा।।

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8 JUL 2020 AT 23:40

कठिन है कुछ मुस्कुराहटों को भुला पाना,
रह रह कर मन मुझे कुबूल है कहने वाले होटों को सामने ले आता है,
साथ रहकर भी दूरी क्यों है ये सवाल लहराता है।
अब इसका क्या जवाब दूं, खुद से ही क्यों दूर हूं केसे जिक्र करू ?
सामने खड़ी दिक्कतों का कारण भी में हूं जवाब भी में,
हिम्मत हारता खिलाड़ी भी में हूं जीत के लिए लड़ता सिपाही भी में,
खुद से दूर भागता नादान भी में खुद को जानने की चाह रखने वाला समझदार भी मैं,
जिक्र करूं तो केवल इतना;
संघर्ष की ये राह है जहां नहीं कोई विराम है, क्षणभंगुर खुशियों के पल चुराने है और मीठे गीत गुनगुनाने है।।

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8 JUL 2020 AT 23:36

परेशान भी हूं हैरान भी हूं अब क्या होगा सोचके खबरदार भी हूं,
छुपाते-छुपाते थका भी हूं, मन का हाल सुनाके बना मज़ाक भी हूं।
दर्द दबा रोज़ मुस्कुराता भी हूं फिर सिरहाने तले दो आंसू बहाता भी हूं।
विचारों की कोंध से अवाक भी हूं, कहानी का अन्त लिखने को तैयार भी हूं।
फिर क्या है जो मुझे रोके है ?
क्या यह मेरी जिजीविषा है ? या है ये मेरा कायरपन ।
हा रुकना तो मुझे होगा लड़ना भी मुझे होगा,
मुश्किल समय देख हार मान ले जो प्रण ऐसा कमज़ोर प्रण मेरा नहीं;
चाहे हर रात सिसकती बीते, जीने की चाह बुझती दिखे।
एक पल और, एक पल और कह सारे पल जीने है मुझे,
सारे पल जीने है मुझे।

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17 JUN 2020 AT 22:17

The poetry I see in you.

First-time I saw you,
I knew those eyes that smile,
I knew we could go along.

The way our first kiss went,
The way I first touched you,
The way we look at one another,
Is this how one freezes a moment ?

Your beauty chatters with me,
Your curves fascinates me;
There is an element in your voice
that soothes my senses.

Every second spent with you,
Is a dime I would like to collect.
Your intelligence is captivating,
And your emotions are whole.

Came across a few,
None got what I see in you.
Every time I see you I get an intense desire to make you mine.

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9 MAY 2020 AT 15:57

यू एक एहसास सा उठ खड़ा हुआ है मन में,
क्या है, क्यों है समझ से परे ।
उथल-पुथल हैं मन की तरंगे,
जाने बिछड़े साथी हो पिछले जन्म के ।।

क्या ये, मेरे व्यथित हृदय की पुकार है ?
क्या फिर किसी का इंतजार है ?

प्रेम के कटु- मृदु रसास्वादन से,
फिर ना बिछड़ने के आश्वासन से,
द्रवित इस हृदय को अब क्या आस है ?

प्रेम की मृगतृष्णा का सजीव चित्रण कर,
क्यों ये बैरागी मन आज परेशान है ?

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