ज़ख्म
ना हुस्न का जादू था, ना थी वो उनकी सूरत,
जिस बात पर हम फिदा हुए वोह थी उनकी फितरत।
दूर रह के भी महसूस करेंगे उनका साथ,
उनका दिया वक्त, उनकी दी मोहब्बत।
दूरी रहे चाहे जितनी ये दिल पास ही रहेंगे,
भूलना चाहे भी अगर तुझको तो भूल ना सकेंगे।।
तेरे साथ लिपटे जो अपनापन मैने पाया है,
रूहधे गले तुझे अपना बताया है,
तेरे इस मासूम चेहरे का दीदार ना जाने अब कब होगा,
कब तुझे छू अपना कह ये दिल पिघलेगा ।
शायद तेरी याद में दो आंसू भी निकाल आए,
कभी कुछ तारीखें याद कर जज़्बात बेह जाए।
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