ये Marx और Webber तो ठीक हैं,
पर मैं इन्हें नहीं तुम्हारी आँखों को पढ़ना चाहता हूँ...
मुझे कुछ नहीं पता इनकी Theory में क्या लिखा-कुछ लिखा,
मैं तो तुम्हारी आँखों को जानना चाहता हूँ...
कुछ ख़ास लगाऊ नहीं है मुझे,
Marx और Webber की बातों से...
पर तुमने कहा था न,पढ़ना है 3 बजे तक,
तुम्हारी इज़्ज़त करता हूँ,इसीलिए इन्हें भी पढ़ जाता हूँ....
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