रे परदेस जातो बादलियो म्हारो भरतार बठै खटे छै घाम म थे वा के ऊपर छत्तर बण जाज्यो। म्हारा नैणां रा पाणी ले जा क थे बरसो, वा का पग पखारज्यो। बैरण चाँद पर थे घूँघट बण जाज्यो जो निजर डारै म्हारे बालमा पे। इतनी सी तो सुणता जाज्यो.....।
आपस में बाँट लेते हैं। आँगन तुम्हारा, धूप मैं रख लेता हूँ। ख्वाब तुम्हारे, यादें मैं रख लेता हूँ। वक़्त तुम्हारा, लम्हे मैं रख लेता हूँ। जिस्म तुम्हारा, दिल मैं रख लेता हूँ। क्यों, ठीक है न?