नाउम्मीदों में उम्मीदों के दरिया बहते है,
आज इतने दिनों बाद भी हम उसे अपना कहते है!-
#abr3
#eroticabr3
मैं सब तरह की कविताएं... read more
एक खूबसूरत ख्वाब हमने भी देखा था…
के उस शहर के सड़क के किनारे पर
लगे पौधों में खिले फूलों की महक से
ख़ुशनुमा हो जाएगा उसके घर का रास्ता
फिर हम कह पाएंगे अपने दिल की बातें
धीरे धीरे सुलझायेंगे दिन और रातें
मगर तस्वीर में वो हिस्सा क़ैद हो न सका
वो फ़रिश्ता बन कर आया मगर मेरा हो न सका!-
हर तरक़ीब आजमाकर देख ली,
किसी तसस्वुर से मेरा वास्ता न रहा..
मैं ठहरा रहा और खो गया चाँद,
शीशे बदलते गए कोई रास्ता न रहा..-
नसीब लेकर आए थे "बदनसीब" तो नहीं बने,
हम जो भी है मगर मोहब्बत के लिए नहीं बने।
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दूर का दरिया समंदर तलाशता है,
पास की नहरें खेतों में गुम हो गई।
अब भी चढ़ने को है ईश्क के परवान,
वक्त वो रहा नहीं सांसे कम हो गई।-
किसके मुकद्दर में अब रंज है अब तन्हाई है,
नीचे जमीं से कोई रोने की आवाज आई है।
मेरे होने से इन किताबों में धूल जम रही है,
वरना हर शख़्स ने कितनी किताबें जलाई है।
जो हक से मांग सके ऐसे हकदार नहीं है कहीं,
और छीन के लुटेरों ने तमाम वसीयतें बनाई है।
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मेरा वजूद तेरे साथ ही आंखों से ओझल हो गया,
फिर नज़रें किसी से मिली नहीं मैं भी कहीं खो गया।-
जो भी है मेरे पास वक्त वो तेरे हक का है,
मैं धीरे-धीरे तेरा कर्ज चुकाता जा रहा हूं।-
थोड़ी हस्ती मिटती रही मकान से,
मैंने उसे कितना ढूंढा आसमान से।
अगर किस्मत कच्ची है मोहब्बत में,
फिर क्या ही मांग लोगे भगवान से।
तेरी गलियों में मेरे किरदार जिंदा है,
कोई झांक भी ले कभी रोशनदान से।
अब कुछ भी बाकी नहीं इस शहर में,
वक्त भी ठहरा हम भी ठहरे मेहमान से।-