जला रहीं थीं मुझको अब खुद जल रही हैं,
मैं उसकी यादों को आग लगाकर आया हूँ।

बहुत अरसे से सो रही थी कही खुशियाँ मेरी,
झंझोड़ कर सब को आज जगाकर आया हूँ।

- अभिषेक मिश्रा